अंतराय कर्म निवारण - साधना

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अंतराय कर्म निवारण - साधना

कांदिवली।
साध्वी निर्वाणश्री जी के सान्निध्य में नवरात्रि अनुष्ठान का क्रम अत्यंत उल्लास के साथ जारी है। भाई-बहन नवरात्रि की साधना में विशेष रूप से तप, जप आदि के प्रयोग कर रहे हैं। साध्वीश्री जी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन, कांदिवली में अनुष्ठान का प्रारंभ हुआ, जिसमें सामूहिक सस्वर भक्तांमर पाठ, केंद्र द्वारा निर्देशित ‘चंदेसु निम्मलयरा’ एवं दशवैकालिक के प्रथम अध्याय का जप और इसी के साथ विशेष विषय पर वक्तव्य एवं प्रयोग करवाए जाते हैं। अंतराय कर्म निवारण साधना के क्रम में साध्वी डॉ0 योगक्षेमप्रभा जी ने अंतराय कर्म के बंध के कारणों की चर्चा की और कैसे व्यक्ति अंतराय कर्म का क्षयोपशम कर सकता है, इस विषय पर विस्तृत जानकारी देते हुए जैन शास्त्र सम्मत कुछ मंत्रों की प्रस्तुति दी। साध्वी निर्वाणश्री जी ने ‘धम्मो मंगल मुक्कीठम्’ गाथा का अर्थ समझाते हुए अंत में अंतर्यात्रा के प्रयोग के माध्यम से शक्ति जागरण करने का उपाय बताया।