त्रिदिवसीय संस्कार निर्माण शिविर

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त्रिदिवसीय संस्कार निर्माण शिविर

कटक, ओड़िशा।
जीवन को परिमार्जित एवं संस्कारित बनने की प्रक्रिया का नाम संस्कार है। संस्कार जीवन की अमूल्य संपदा है। जीवन की धरोहर है। संस्कार के बिना जीवन शून्य है। संस्कार के बिना व्यक्ति उत्कर्ष को प्राप्त नहीं हो सकता है। संस्कारों के जागरण से व्यक्ति उच्चता, महानता को प्राप्त होता है। संस्कारों के सृजन का समय बचपन है। बचपन को संस्कारित करने के लिए समय-समय पर संस्कार निर्माण शिविर लगाए जाते हैं। जिसमें बच्चों में सर्वांगीण संस्कारों का विकास हो सके। ये विचार मुनि जिनेश कुमार जी ने तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय संस्कार निर्माण शिविर में तेरापंथ भवन में व्यक्त किए। मुनि परमानंद जी ने कहा कि जो दूसरों को आदर देता है वह स्वयं आदर को प्राप्त होता है। व्यक्ति को अपने स्वभाव को बदलना चाहिए। मुनि कुणाल कुमार जी ने गीत का संगान किया। प्रशिक्षिकों ने शिविरार्थियों को तत्त्वज्ञान के बारे में बताया। शिविर में नाना प्रकार की प्रतियोगिताएँ भी हुई। शिविर में करीबन 55 शिवरार्थी भाग ले रहे हैं।