नित्यानित्य संसार में आत्मकल्याण का करें प्रयास: आचार्यश्री महाश्रमण
कालूगणी की जन्मधरा पर चातुर्मास सुसंपन्न-गतिमान हुए ज्योतिचरण
छापर-देवाणी, 9 नवंबर, 2022
कालू जन्म धरा छापर पर हरा-भरा चातुर्मास सुसंपन्न कर अखंड परिव्राजक युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः लगभग 7ः21 बजे चातुर्मास स्थल से ज्यों ही प्रस्थित हुए छापर वासी हाथ जोड़े, सजल नेत्रों के साथ पूज्यप्रवर को रोकने का प्रयास कर रहे थे, किंतु जन-जन के कल्याण करने वाले तेरापंथ के अधिशास्ता सभी पर आशीष दृष्टि करते हुए अपनी अगली मंजिल के लिए गतिमान हो गए। ज्योतिचरणों का अनुगमन करते हुए छापरवासी उनके पीछे चल रहे थे।
लगभग 5 कि0मी0 का विहार कर परम पावन देवाणी पधारे। छापरवासियों ने नम आँखों से पूज्यप्रवर को विदाई दी। पूज्यप्रवर का भंसाली ज्ञान मंदिर में विराजना हुआ।मानवता के मसीहा ने मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारी दुनिया में नित्यता भी है और अनित्यता भी है। ध्रौव्य है, तो उत्पाद व्यय भी है। पदार्थ में ध्रुवता भी है और उत्पाद-व्यय भी है। जैन दर्शन में बताया गया कि ये दुनिया नित्यानित्य है। केवल नित्यता या अनित्यता नहीं है। पदार्थ तो नित्य है, पर उसमें पर्याय परिवर्तन होता रहता है। हमारा जीवन अनित्य है, पर आत्मानित्य है। उम्र अनुसार बदलाव आता है।
उपाध्याय विनय विजय जी ने शांत सुधारस ग्रंथ में लिखा है कि हमारे देखते-देखते हमारे माईत, हमारे साथी भी चले गए हैं। ये सब देखने के बाद भी मन में शंका नहीं है कि मुझे भी एक दिन जाना पड़ेगा, मैं तो संसार के भोगों और प्रमाद में डूबा हुआ हूँ। इस अनित्य जीवन का भरोसा नहीं। इस अनित्य जीवन में नित्य (आत्मा) का कल्याण हो, ऐसा प्रयास करना चाहिए।
बचपन में वैराग्य भाव आना अच्छी बात है, जैसे परम पूज्य कालूगणी को आया था। छापर की धर्मसंघ को ये देन है। हमने भी वहाँ चातुर्मास किया। कालूगणी हमारे माइतों के माइत थे। उनमें शास्ता सा अनुशासन और माता-पिता जैसे वात्सल्य था। कालूगणी से हमें दो गुरु मिले थे। हमें अब आगे बढ़ना है। हम जीवन में धर्म के क्षेत्र में भी आगे बढ़ें। आज ये भंसाली जी के विद्या स्थान में आना हुआ है। भंसाली परिवारों में भी खूब धर्म की भावना बनी रहे। विद्या संस्थान के विद्यार्थियों में भी अच्छे संस्कार मिलते रहें।
पूज्यप्रवर के स्वागत में भंसाली परिवार की बहनों ने गीत की प्रस्तुति दी। स्नेहलता दुगड़, मंजु देवी भंसाली, संतोष कुचेरिया, माणक सिंघी, पारसमल डोसी, छापर व्यवस्था समिति के अध्यक्ष माणकचंद नाहटा ने अपनी श्रद्धा भावना व्यक्त की। मुनि विकास कुमार जी ने भी अपने भाव श्रीचरणों में अभिव्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।