छापरवासियों में त्याग-संयम रूपी रमणीयता बनी रहे: आचार्यश्री महाश्रमण
ध्वज हस्तांतरण के साथ बायतू व्यवस्था समिति ने संभाला दायित्व
ताल छापर, 8 नवंबर, 2022
74 वर्ष के पश्चात छापर में आचार्यप्रवर के चातुर्मास का अंतिम दिवस, चातुर्मासिक पक्खी का दिवस। चातुर्मास संपन्नता के उपलक्ष्य में मंगलभावना समारोह में छापरवासी अपने आराध्य से एक ही अरज कर रहे थे कि हमें संभालने में देर मत करना, बेगा पधारज्यो। समता के शिखर पुरुष आचार्यश्री महाश्रमण जी ने छापर चातुर्मास काल में अंतिम मंगल उद्बोधन में पावन पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि मनुष्य जन्म एक प्रकार का वृक्ष है। इस वृक्ष के फल लगें, ऐसा प्रयास करना चाहिए। एक फल बताया गया हैµजिनेंद्र पूजा। अर्हतों की भाव पूजा करो, स्मरण भक्ति करो। दूसरा फल बताया गया हैµगुरु पर्युपासना करो। तीसरा फल हैµसत्वानुकंपा-प्राणियों के प्रति दया का भाव। चौथा फल हैµशुभ पात्र दान, पाँचवाँ फल हैµगुणानुराग, छठा फल हैµआगम का श्रवण करो।
चातुर्मास ऐसा समय है, इन छः फलों को पुष्ट करने का। धार्मिक साधना विशेष रूप से की जा सकती है। आत्मा को कल्याणमय बनाने का प्रयत्न किया जा सकता है। छापर चातुर्मास तो परम पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी द्वारा घोषित किया हुआ था। पर क्रियान्विति गुरुदेव के काल में नहीं हो सकी। स्थूल भाषा में एक कर्जा सा था जो पूरा हो रहा है। अच्छा तो होता मैं पूज्य गुरुदेव के साथ यहाँ चातुर्मास करता, पर नियति का योग है। छापर पूज्य कालूगणी से जुड़ा क्षेत्र है और सेवा केंद्र भी यहाँ वर्षों से चल रहा है। आज चातुर्मास संपन्न हो रहा है। श्रावकों का व्यवस्था में श्रम भी लगा है। छापर में चातुर्मास हो, इस मुद्दे को उठाने वाला भी उन वर्षों में, मैं ही था। छापर ने बात को पकड़ा और निरंतर प्रयास करते-करते फरमाना भी हो गया।
जैसे कुमार श्रमण केशी ने प्रति बोध दिया था कि रमणीय बनकर अरमणीय मत बन जाना, वैसे ही छापर के लोगों में धार्मिक भावना बनी रहे। आज अंतिम अहोरात्र है। छापर के लोगों में त्याग-संयम की रमणीयता बनी रहे। मैं अपने आपको कुछ अंशों में कुमार श्रमण केशी मान लूँ तो आप मेरे लिए राजा परदेशी जैसे हो। मेरा चातुर्मास का अंतिम संदेश देना चाहता हूँ कि जीवन में रमणीयता धर्म, संयम, अहिंसा के रूप में आ जाए। धर्म की चेतना पुष्ट बनी रहे। छापर के लोगों में अहिंसा, नैतिकता की चेतना पुष्ट बनी रहे।
मुझे पूरे संयम पर्याय में पहली बार छापर में चातुर्मास करने का अवसर मिला है। गुरुदेव ने सेवा केंद्र की सेवा में तो मुझे नहीं भेजा पर छापर चातुर्मास करने का मौका प्राप्त हुआ। मैं पूज्य कालूगणी का श्रद्धा के साथ स्मरण करता हूँ। अब हमें छापर से कल विदाई लेनी है। सभी साधु-साध्वियों की ओर से हम खमतखामणा करते हैं। छापर का अच्छा चातुर्मास हुआ है। छापर का चातुर्मास हरे-भरे पेड़ के समान कहा जा सकता है। छापर की जनता ने अनेक रूपों में श्रम-शक्ति का योगदान लगाया है। अच्छा चातुर्मास हमारा संपन्न हो रहा है। आप सबमें खूब चित्त समाधि बनी रहे। खूब शांति बनी रहे। खूब अच्छा कार्य करते रहें। धर्म की भावना भी बनी रहे। कल प्रातः हम यहाँ से विहार कर रहे हैं। हमारे धर्मसंघ में गुणों से युक्त साधु या सिद्ध पूजनीय हैं।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ अनेक गतिविधियों वाला धर्मसंघ है। कितने कार्यक्रम पूज्यप्रवर की सन्निधि में चले। पूज्यप्रवर ने कितनों को प्रतिबोध प्रदान करवाया है। आचार्यप्रवर के प्रवचन अध्यात्म रस से ओत-प्रोत होते हैं। इस कारण वे आम जनता के आकर्षण होते हैं। पूज्यप्रवर के सूत्रों से हम आत्मा को निर्मल बना सकते हैं। आचार्यप्रवर ने छापर को आध्यात्मिक प्रकंपनों से ओत-प्रोत बनाया है। पूज्यप्रवर की मंगलभावना समारोह में व्यवस्था समिति अध्यक्ष माणकचंद नाहटा, विजयसिंह सेठिया (अध्यक्ष स्थानीय सभा), लक्ष्मीपत नाहटा, रतनलाल बैद, दिलीप मालू, निर्मल दुधोड़िया, कुसुम बैद, चमन दुधोड़िया, बजरंग डोसी, प्रथम नाहटा, बंशीलाल बोथरा, शांति दुधोड़िया, ज्ञानशाला चंदा देवी नाहटा, जीवनमल मालू, वीरेंद्र सुराणा, राहुल दुधोड़िया, भाविका दुधोड़िया, विमल, हुलास चोरड़िया, राकेश दुधोड़िया, बाबूलाल सारड़ा, सूरजमल नाहटा आदि ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। कार्यक्रम में तेरापंथ कन्या मंडल, कन्या मंडल, अणुव्रत विद्यालय में विद्यार्थियों आदि ने गीत के माध्यम से अपनी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में बायतु मर्यादा महोत्सव दायित्व का ध्वज हस्तांतरण हुआ। बायतु निवासियों ने गीत से आमंत्रण भावना प्रस्तुत की। पूज्यप्रवर ने बायतु निवासियों को मंगलपाठ सुनाया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।