धर्म की संपदा कभी नष्ट नहीं होती
पेटलावद
व्यक्ति के जीवन में धर्म आ जाता है तो प्रयास करना चाहिए कि वह पूरी तरह धर्म में रम जाए, क्योंकि धर्म एक संजीवनी है, शाश्वत संपदा है। संसार की सारी संपदा नष्ट हो सकती है पर धर्म की संपदा कभी नष्ट नहीं होती। यह उद्गार मुनि वर्धमान जी ने स्थानीय आचार्य तुलसी मार्ग झंडाबाजार स्थित नवनिर्मित तेरापंथ सभा भवन में अपने चातुर्मास प्रवेश के दौरान व्यक्त किए। आपने आगे कहा कि संसार बंधन से बड़ा कोई दु:ख नहीं और संसार मुक्ति से बड़ा कोई सुख नहीं। मुनिश्री ने शासन कल्पतरु गीत से अपना उद्बोधन प्रारंभ किया।
कार्यक्रम की शुरुआत महिला मंडल व कन्या मंडल के मंगलाचरण से हुई। स्वागत भाषण तेरापंथ सभा अध्यक्ष विनोद भंडारी ने दिया। महिला मंडल की ओर से मंत्री हेमलता कोठारी, तेयुप की ओर से अभातेयुप के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य व तेयुप अध्यक्ष रूपम पटवा, तुलसी बाल विकास समिति की ओर से पारसमल गादिया, मालवा सभा की ओर से मंत्री कमलेश बम, महावीर समिति की ओर से झमकलाल भंडारी, अणुव्रत समिति की ओर से सचिन मुणत, ज्ञानशाला परिवार से पुष्पा पालरेचा सहित सुरेंद्र मेहता, फूलचंद कांसवा, श्रेया पटवा आदि कई वक्ताओं ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी।
कार्यक्रम में ज्ञानशाला के नन्हे-मुन्ने बच्चों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति दी। हिमांशु कोठारी ने अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम का संचालन तेरापंथ सभा के मंत्री लोकेश भंडारी ने किया। आभार अभातेयुप जेटीएन राज्य प्रभारी पंकज जे0 पटवा ने निभाया।