वृहद तप अभिनंदन समारोह का आयोजन
साहूकारपेट।
‘वृहत तप अभिनंदन’ समारोह का आयोजन साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य में किया गया। साध्वी मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि तपस्या आत्मशोधक तत्त्व है। जैसे कपड़ा मैला होने पर धोकर साफ कर लिया जाता है। वैसे ही आत्मा पर चढ़े कर्मरूपी मल का नाश होता है तप से। अतः तपस्या सोल-क्लीनर है। यह तन, मन, चेतना की शुद्धिकरण की प्रक्रिया जैन शासन की अद्वितीय और अभूतपूर्व देन है। बारी के उपवास, मासखमण, तप के सैकड़ों थोकड़े, पचरंगी, दस प्रत्याख्यान, आयंबिल, एकासन, नीवी की विशिष्ट सामूहिक आराधन, धर्मचक्र तप, 61 वर्षीतप तथा एकांत तप आदि कई तपस्याओं का आराधन चातुर्मासिक भव्य सफलता की परिचायिका है। कार्यक्रम का शुभारंभ पूजा बेदमूथा के मंगलाचरण से हुआ। साध्वी डॉ0 चैतन्यप्रभा जी ने विचार व्यक्त किए। साध्वीवृंद ने गीतिका प्रस्तुत की। तेरापंथी सभा के मंत्री अशोक खतंग ने आभार ज्ञापन किया। देवीलाल हिरण ने संचालन किया। अनेक तपस्वियों को अभिनंदन पत्र एवं उपहार देकर सम्मानित किया गया।