ज्ञानशाला वार्षिकोत्सव
कांटाबांजी।
ज्ञानशाला वार्षिक उत्सव के अवसर पर मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा कि आज का यह ज्ञानशाला कार्यक्रम संदेश ग्रहण करने वाला है। ज्ञानशाला में आने वाले बच्चे जीवन में कुछ विशेष प्राप्त करते हैं। ज्ञानशाला में प्राप्त संस्कार जीवन की बुनियाद को सम्यक् बनाते हैं। आज के युग में बौद्धिक ज्ञान का विकास तो बहुत हुआ, लेकिन संस्कारों का विकास कम होता जा रहा है।
मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा कि हमारे जीवन में जितना महत्त्व श्वास का होता है, उतना ही संस्कार का होता है। बाजी में वटवृक्ष होता है, पत्थर में प्रतिमा होती है, वैसे ही बच्चों में क्षमता, योग्यता होती है। उस योग्यता से प्रोत्साहन, प्रेरणा एवं उपदेश मिलने से जीवन का निर्माण हो जाता है। मैंने स्वयं के जीवन में गृहस्थ अवस्था में प्रतिदिन ज्ञानशाला के माध्यम से ज्ञान अर्जन किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ गीत से हुआ। सभा अध्यक्ष युवराज जैन ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने पानी, बिजली के अपव्यय से होने वाले नुकसान एवं समस्या की सुंदर प्रस्तुति दी। संस्कारों का अभाव नशे का प्रभाव परिसंवाद, ज्ञानशाला का आकर्षण परिसंवाद को लोगों ने सराहा। गीत की प्रस्तुति हुई। ‘मार्डन सास संस्कारी बहू’ के संवाद की अभिव्यक्ति हुई। प्रांतीय सभा अध्यक्ष मुकेश जैन, महासभा क्षेत्रीय प्रभारी केशव जैन ने विचारों की प्रस्तुति दी।
तेरापंथ सभा द्वारा प्रशिक्षकगण का सम्मान किया गया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों को प्रांतीय सभा द्वारा सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन स्मिता जैन एवं रितु जैन ने किया। आभार ज्ञापन बोबी जैन ने किया।