गुरु का स्थान भगवान से भी ऊपर
जीन्द
शासनश्री साध्वी कुंथुश्री जी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में तेरापंथ भवन में 262वाँ तेरापंथ दिवस मनाया गया। मंगलाचरण संयम जैन ने भिक्षु अष्टकम से किया। शासनश्री साध्वी कुंथुश्री जी ने कहा कि आज गुरु पूर्णिमा है। गुरु का स्थान भगवान से ऊपर होता है। भारतीय संस्कृति में गुरु को सर्वोपरि माना गया है। आज के दिन तेरापंथ को एक विलक्षण गुरु मिला था। उसका नाम थाआचार्य भिक्षु, आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन तेरापंथ की स्थापना हुई। अहंकार और ममकार के विसर्जन का नाम हैतेरापंथ।
हे प्रभु! यह तेरापंथ, आचार्य भिक्षु ने कहा त्याग धर्म है, अहिंसा धर्म है, संयम धर्म है। सभी प्राणियों में मैत्री धर्म है। साध्वी कंचनरेखा जी ने कहा कि वे भयंकर कष्टों में भी हीरे की तरह चमकते रहे। साध्वी सुमंगलाश्री जी, साध्वी सुलभयशा जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। डॉ0 सुरेश जैन, मास्टर नारायण सिंह, राजेश जैन, कुणाल मित्तल, घीसाराम जैन, नरेश जैन, रक्षिता जैन, प्रेक्षा जैन, संतोष जैन, संदीप जैन आदि ने रात्रिकालीन धम्म जागरण में पूरे वातावरण को भिक्षुमय बना दिया। कार्यक्रम का संचालन राजेश जैन ने किया।