मंगलभावना समारोह के आयोजन
गंगाशहर
मुनि श्री जितेंद्र कुमार जी आदि पांच संतों की मंगल भावना समारोह आयोजित हुआ। चातुर्मास हेतु आचार्य श्री महाश्रमण जी की आज्ञा से मुनिवृंद ने गंगाशहर में चतुर्मासिक प्रवेश किया। यह चातुर्मास गंगाशहर में एक नई चेतना जगाने वाला बना। एक ओर जहाँ सामूहिक त्याग, तपस्या, प्रवचन, जाप, अनुष्ठान, मुनिवृंद द्वारा क्षेत्र संभाल आदि से लोगों में एक नई आध्यात्मिक चेतना का संचार हुआ। वही समय-समय पर होने वाले विविध प्रतियोगिताओं, संगोष्ठियों, भजन- संध्याओं, आध्यात्मिक ज्ञान से अभिप्रेरित कार्यक्रमों ने श्रावक समाज में उत्साह की लहर पैदा कर दी।
वयोवृद्ध मुनि शांतिकुमार जी ने कहा कि गुरु दृष्टि की पालना कर इन संतों का यहाँ आना हुआ। पाँचों ही संतों का सुंदर योग मिला। इन्होंने उत्साह, लगन के साथ क्षेत्र को संभाला और हर दृष्टि से श्रमपूर्ण कार्य किया। मैं मंगलकामना करता हूँ, संत निरामय रहते हुए धर्मसंघ की प्रभावना करते रहें। मुनि जितेंद्र कुमार जी ने कहा कि यह सफल, सुफल चातुर्मास गुरु कृपा का फल है। मैंने सोचा भी नहीं था की अपनी दीक्षा भूमि पर वह भी 25 वर्षों की संपूर्णता पर मुझे चातुर्मास करने का अवसर मिलेगा। उनकी कृपा से ही मैं कुछ कर सका। सहयोगी संतों का भी मुझे पूरा सहयोग मिला, जिससे यह चातुर्मास निर्विघ्न और सुफल बन सका। साथ ही यहाँ शांति मुनि आदि सभी माइत संतों का भी वात्सल्य भाव, कृपा मिलती रही।
इस अवसर पर मुनि श्रेयांस कुमार जी, मुनि विमल बिहारी जी, मुनि प्रबोध कुमार जी, मुनि सुधांशु कुमार जी, मुनि अनुशासन कुमार जी, मुनि अनेकांत कुमार जी ने भी अपने विचार रखे। तेममं ने सामूहिक गीत का संगान किया। तेरापंथ किशोर मंडल एवं कन्या मंडल की सदस्याओं ने मंगल भावना में प्रस्तुति दी। भावाभिव्यक्ति के क्रम में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा से अमरचंद सोनी, आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के हंसराज डागा, तेरापंथ न्यास से जैन लूणकरण छाजेड़, तेयुप से अरुण नाहटा, अणुव्रत समिति से राजेंद्र बोथरा आदि कई वक्ताओं ने अपने भाव रखे। सभा मंत्री रतन छलानी ने मंच संचालन किया।