अच्छा जीवन जीने के लिए अपनाएँ अहिंसापूर्ण जीवनशैली: आचार्यश्री महाश्रमण
खामियाद, 16 नवंबर, 2022
तेरापंथ शासन सम्राट आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रातः 10 कि0मी0 का विहार कर खामियाद गाँव स्थित शहीद नंदकिशोर सिंह उच्च माध्यमिक विद्यालय पधारे। महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमण जी ने फरमाया कि अहिंसा एक ऐसा तत्त्व है, जो बहुत व्यापक है। दुनिया में इतने धर्म हैं। इन धर्मों में कौन सा धर्म होगा जो अहिंसा को महत्त्व नहीं देता। अच्छे इंसान एवं एक सामान्य आदमी के लिए अहिंसापूर्ण जीवनशैली से जीवन जीना भी अच्छा होता है।
‘अहिंसा परमो धम्मो।’ अहिंसा को परम धर्म कहा गया है। विद्यार्थी विद्यालय में ज्ञान प्राप्त करते हैं, उसके साथ अहिंसा, सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्ति, विनम्रता ऐसे संस्कारों का भी सृजन किया जाना चाहिए ताकि वे ज्ञान संपन्न के साथ संस्कार संपन्न भी बन सके। वनस्पति, पानी, हवा, अग्नि और मिट्टी भी सजीव हो सकती है। जैन धर्म में इनमें जीवत्व को स्वीकारा है कि इनकी हिंसा करने से बचने का प्रयास करो। प्राणियों को अपने समान समझो। मैं दूसरों को कष्ट क्यों दूँ। जो व्यवहार तुम्हारे लिए प्रतिकूल है, वह व्यवहार तुम भी दूसरों के साथ मत करो।
बच्चे अच्छे-सच्चे हैं, तो आगे देश भी अच्छा रह सकता है। बच्चों में अच्छे संस्कार आते रहें, यह एक प्रसंग से समझाया। जीवन में ईमानदारी रहे। परीक्षा में नकल से नहीं अकल से सफलता प्राप्त करें। ज्ञान पाना मुख्य लक्ष्य होना चाहिए। इंसान पहले इंसान, फिर हिंदू या मुसलमान। अच्छे संस्कार सबमें पुष्ट हों। आचार्यश्री के आह्वान पर समुपस्थित विद्यार्थियों, ग्रामीण जनता व शिक्षकों ने आचार्यश्री के श्रीमुख से सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संकल्पों को स्वीकार किया। विद्यालय के प्रधानाध्यापक मोहनराम ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। दिन के प्रवास के पश्चात आचार्यप्रवर धवल सेना के साथ 8 किलोमीटर का विहार कर बांठड़ी गाँव पधारे। संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।