प्रतिभा के धनी आचार्य भिक्षु
सिकंदराबाद
डी0वी0 कॉलोनी में शासनश्री जिनरेखा जी के सान्निध्य में आचार्य भिक्षु का 296वाँ जन्म दिवस मनाया गया। शासनश्री साध्वी जिनरेखा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु तेरापंथ धर्मसंघ के दूरदर्शी आचार्य थे। अर्हत् वाङ्मय में मनुष्य की श्रेणी के चार विभाग किए गए हैं। पहला उदितोदित, दूसरा उदिते अत्थमिते, तीसरा अत्थमिते उदिते और चौथा अत्थमिते अत्थमिते। पहले प्रकार का व्यक्ति जीवन भर उदित रहेगा, क्योंकि वह पुण्य का उदय था। तब जन्म लेता है और आगे ऐसा आचरण और व्यवहार करता है, पवित्र लेश्या को बढ़ाता है। जिससे उसके अस्त होने का अवसर ही नहीं आता।
आचार्य भिक्षु का जीवन उदितोदित था। उनका बुद्धि कौशल बड़ा विलक्षण था। हर समस्या का समाधान एक क्षण में ही समाहित कर देते थे। साध्वीवृंद ने सामुहिक गीत की प्रस्तुति दी। लक्ष्मीपत बैद ने सभा की ओर से अपने विचार व्यक्त किए। तेयुप के नवमनोनीत अध्यक्ष प्रवीण श्यामसुखा का निवर्तमान अध्यक्ष राहुल श्यामसुखा ने तेयुप की तरफ से स्वागत किया।