सकारात्मक चिंतन निकालता है परिवार के सौंदर्य को
हिरियुर, कर्नाटक।
अभातेममं के तत्त्वावधान में मुनि अर्हत कुमार जी के सान्निध्य में ‘सकारात्मक सोच’ कार्यशाला का आयोजन महिला मंडल द्वारा स्थानीय तेरापंथ भवन में किया गया। समाज की सबसे छोटी इकाई होती हैµपरिवार। परिवार वह बगीचा है जिसमें अनेक प्रकार के फूल एक साथ रहकर अपनी महक बिखेरते हैं। धरती पर स्वर्ग तक उतर आता है, जब किसी परिवार में खुशहाली छाई रहती है।
आपस में सामंजस्य का सेतु बनाए रखें एवं अपने चिंतन को सकारात्मकता से सराबोर रखिए, तभी आप उस स्वर्ग में होंगे, जिसकी कल्पना सपनों में होती है। स्वार्थ की खटास रिश्तों को फाड़ देती है। रिश्तों को अगर मधुर बनाना है तो एक-दूसरे के प्रति प्रांजल भावना रखें। परिवार में पाँच ‘वी’ का प्रयोग करें। विनय, विवेक, वात्सल्य, विश्वास और विशेष। दया वाणी मधुरता जिस घर में इनका प्रयोग होता है वहाँ हमेशा शांति का वास होता है।
मुनि भरत कुमार जी ने कहा कि जो रखता है शांति, उसके जीवन में नहीं आती कभी भ्राँति, जीवन में जो रखता है दिल में आनंद, उसके जीवन में आता है हमेशा परमानंद।
बाल संत जयदीप कुमार जी ने अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर तेरापंथ महिला मंडल ने गीत का संगान किया।