चातुर्मास संपन्नता पर व्याख्यान
जोधपुर, जाटाबास।
तेरापंथ भवन में शासनश्री साध्वी कुंथुश्री जी ने राजा परदेशी का व्याख्यान सुनाया। साध्वीश्री जी ने कहा कि राजा परदेशी घोर नास्तिक था, धर्म-कर्म, पुण्य-पाप, स्वर्ग-नरक, आत्मा-परमात्मा को नहीं मानता था। केशी श्रमण ने उन्हें दृढ़ धार्मिक बना दिया एवं हमेशा रमणीक रहने का संबोध दिया। साध्वीश्री जी ने कहा कि आप पहले सुंदर थे बाद में असुंदर मत बनना। धर्म की आराधना करते रहना, संयम तप की सुरभि फैलाते रहना, ज्ञान के दीप जलाते रहना, अपने जीवन को समुज्ज्वल, पवित्र बनाते रहना। आत्मा भिन्न है, शरीर भिन्न है, याद रखना। आपका संकल्प मजबूत रहे, श्रद्धा दृढ़ रहे, विश्वास अटल रहे।
तेरापंथ भवन से साध्वीवृंद ने प्रस्थान किया। श्रावक समाज अच्छी संख्या में साथ चल रहा था। सभा, तेयुप, तेममं ने जयनारों के राजमार्ग में सेवा का लाभ लिया। रैली भवन से रातनाड़ा सुरेंद्र कुचेरिया के निवास स्थान पर पहुँची, सुरेंद्र ने साध्वीवृंद तथा सभी आगंतुक भाई-बहनों का स्वागत किया।