संस्कारों की प्रयोगशाला ज्ञानशाला

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संस्कारों की प्रयोगशाला ज्ञानशाला

राजलदेसर।
साध्वी मंगलप्रभा जी के सान्निध्य में ज्ञानशाला का वार्षिक उत्सव मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ अर्जुन विनायकिया के द्वारा मंगलाचरण की सुमधुर प्रस्तुति से हुआ। बच्चों ने कंठस्थ ज्ञान पर आधारित ‘ज्ञानशाला में एक दिन’ नाटक की प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं हेमलता घोषल, निर्मला जैन एवं मोनिका बैद ने सहभागिता की।
प्रशिक्षिका हेमलता घोषल ने ज्ञानशाला की वार्षिक रिपोर्ट का वाचन किया। साध्वी मंगलप्रभा जी ने कहा कि बच्चे तो गीली मिट्टी की तरह हैं, जिस साँचे में ढालो ढल जाते हैं। उन्होंने कहा कि सभा को भी ज्ञानशाला की सार-संभाल कभी-कभी स्वयं उपस्थित रहकर करनी चाहिए।
साध्वी प्रणवप्रभा जी ने बताया कि बच्चों को यदि खेल-खेल में मनोरंजन के साथ सिखाया जाए तो वे कठिन से कठिन पाठ भी जल्दी याद कर लेते हैं। जगत सिंह बेगवानी ने अपने विचार रखते हुए बच्चों को प्रेरणा प्रदान की। कार्यक्रम के पश्चात ज्ञानशाला के सभी बच्चों को तेरापंथी सभा के द्वारा मोमेंटो भेंट कर सम्मानित किया गया। विद्यार्थी ऋषभ बैद व यश्वी बच्छावत को गुड अटेंडेंस व श्रेष्ठ ज्ञानार्थी के रूप में पुरस्कृत किया गया। पूर्व रात्रि को ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा ‘गुरुदेव तुलसी का परिचय’ प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने नाटिका का मंचन किया एवं कव्वाली की प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला के बच्चों, तेरापंथी सभा, महिला मंडल, कन्या मंडल एवं किशोर मंडल सहित श्रावक-श्राविकाओं की अच्छी उपस्थिति रही।