संतों का मिलन सबके लिए प्रेरणास्रोत
ब्यावर।
मुनि सुमति कुमार जी व मुनि चैतन्य कुमार जी का अत्यंत सौहार्द एवं प्रसन्न वातावरण में मिलन हुआ। मुनि अमन कुमार जी ने अपने सहयोगी मुनि सुबोध कुमार जी के साथ संतों की अगवानी करने बाँके बिहारी मंदिर सूरजपोल गेट तक पहुँच समागत मुनि सुमति कुमार जी, मुनि देवार्य कुमार जी एवं मुनि राहुल कुमार जी का स्वागत-अभिनंदन किया। मार्ग में रांकाजी की बगीची में अनेक भाई-बहनों ने भी मुनिप्रवर का स्वागत किया। रात्रि में स्वागत समारोह मूथा भवन में आयोजित हुआ। इस अवसर पर मुनि चैतन्य कुमार जी ‘अमन’ ने कहा कि संतों का सौहार्दपूर्ण मिलन जनमानस के लिए प्रेरणास्रोत होता है। वह क्षेत्र भी सौभाग्यशाली होता है, जिन्हें ऐसे संतों के मिलन का अवसर प्राप्त होता है। संत गंगा की धारा के समान निरंतर प्रवाहमान होते हैं।
मुनि सुमति कुमार जी ने कहा कि जीवन में सबसे अच्छा प्रकाश होता है आँखों का। अगर आँख की ज्योति अच्छी है तो दूसरे सारे प्रकाश काम के हैं अन्यथा सूरज, चंद्रमा, लाइट, दीपक आदि के प्रकाश कोई काम का नहीं है। अंतरज्योति प्राप्त होती है गुरुओं से, संतों से। संत मिलन होता है तो श्रावक समाज में जागृति पैदा होती है।
इस अवसर पर मुनि देवार्य कुमार जी, मुनि सुबोध कुमार जी ने अपने भाव व्यक्त किए। समणी विनीतप्रज्ञा जी व समणी जगतप्रज्ञा जी के आगमन से उनके साथ भी संतों का मिलना हो सका। कार्यक्रम में तेरापंथी सभा अध्यक्ष नोरतमल दुगड़, रिद्धकरण श्रीश्रीमाल, इंदू भटेवरा द्वारा स्वागत-अभिनंदन करते हुए आभार व्यक्त किया। रोहित मूथा, मनीष रांका, सुनील सेठिया, रमेश श्रीश्रीमाल, गौतम गोखरू सहित अनेक गणमान्यजन एवं महिला मंडल की सदस्याएँ उपस्थित थीं।