सुख साधनों में नहीं, आत्मा में है

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सुख साधनों में नहीं, आत्मा में है

टी-दासरहल्ली।
अभातेममं के निर्देशानुसार तेममं द्वारा शासनश्री साध्वी कंचनप्रभा जी के सान्निध्य में कार्यशाला का आयोजन हुआ। अध्यक्ष रेखा मेहर ने वक्तव्य के साथ सभी का स्वागत किया। शासनश्री साध्वी कंचनप्रभा जी ने कहा कि भारतीय ऋषि-महर्षियों का त्याग प्रधान, संयमी जीवन हर व्यक्ति के लिए आदर्श है, अनुकरणीय है। इच्छाएँ अपरिमित हैं। यह भगवान महावीर की वाणी है। सुख पदार्थ में नहीं, आत्मा में है। अपेक्षा है हर धार्मिक व्यक्ति स्वयं का निरीक्षण कर अत्यधिक संग्रह से बचे, अनित्यता की अनुपेक्षा करने वाला व्यक्ति अनासक्त रह सकता है। सभी साध्वीवृंद ने एवं रेखा मेहर व नेहा चावत ने अपने विचार व्यक्त किए। बबिता गांधी ने आभार व्यक्त किया।