सौभाग्य का अभ्युदय - मुणिन्द मोरा की ढाल

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सौभाग्य का अभ्युदय - मुणिन्द मोरा की ढाल

भीलवाड़ा।
तेरापंथ भवन में साध्वी डॉ0 परमयशा जी के सान्निध्य में ‘मुणिन्द मोरा’ की ढाल के अनुष्ठान का कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस अवसर पर साध्वी परमयशा जी ने कहा कि श्रीमद् जयाचार्य तेरापंथ शासन के एक प्रभावशाली असाधारण प्रज्ञा संपन्न आचार्य थे। वे श्रुत के महासागर, मंत्रों के विशेष ज्ञाता थे। उन्होंने विशिष्ट गीतों की रचना की। जिसमें मुणिन्द मोरा गीत खास है। इस गीत में व्यक्तित्व बदलाव का फार्मूला है। तेजस्विता, तपस्विता की ऊँची मीनार है। यह मंत्र, यंत्र, तंत्र से आपूरित स्तवन न आयोजन, आंदोलन, अभियान और न ही प्रदर्शन है अपितु अंतर्मुखी चेतना के जागरण का महाघोष है।
साध्वीश्री जी ने कहा कि डॉ0 बसंतीलाल बाबेल भिक्षु शासन के एक श्रद्धा संपन्न, प्रतिभा संपन्न श्रावक हैं। आपकी संघ और संघपति के प्रति आस्था, निष्ठा बेजोड़ है। आपने न्याय विधि क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य किया है। आपने कहा कि राष्ट्रीय अणुव्रत समिति ने छापर में आचार्यश्री महाश्रमण जी की सन्निधि में निर्मल गोखरू को नवगठित अणुव्रत समिति में उपाध्यक्ष पद प्रदान किया गया। आपकी गुरु निष्ठा, गण निष्ठा, सेवा भावना, कार्यकुशलता, भीलवाड़ा तेरापंथ सभा के लिए गौरव व गर्व का विषय है। गुरु कृपा का अमृत आपको मिलता रहे। मीडिया प्रभारी नीलम लोढ़ा ने बताया कि अनुष्ठान में श्रावक समाज ने उल्लास से भाग लिया। अनुष्ठान में नौ बार मुणिन्द मोरा ढाल का संगान किया गया।