आध्यात्मिक मिलन समारोह का आयोजन
चेन्नई।
चेन्नई चातुर्मास के पश्चात आंध्र प्रदेश की ओर विहाररत साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी अपनी सहयोगिनी साध्वीवृंद के साथ केशरवाड़ी तीर्थ स्थल पहुँची जहाँ स्थानकवासी संप्रदाय के आचार्यश्री डॉ0 शिवमुनि जी के शिष्य डॉ0 वरुण मुनिश्री के साथ आध्यात्मिक मिलन हुआ। मुनिश्री के सान्निध्य में चतुर्दिवसीय आत्म साधना शिविर में उपस्थित शिविरार्थियों एवं विहार यात्रा सेवार्थियों को संबोधित करते हुए साध्वीश्री जी ने कहा कि ऋषियों की विहार यात्रा प्रशस्त होती है। आज सहज ही आध्यात्मिक मिलन का सुखद संयोग उपस्थित है। चेन्नई में मुनिवृंद से हमारा आध्यात्मिक मिलन हुआ और संयुक्त कार्यक्रम समायोजित हुआ है। मुनिवृंद का सात्त्विक व्यवहार, आत्मीय व्यवहार आकर्षित करने वाला है।
साध्वीश्री जी ने कहा कि ध्यान की पद्धति जैन परंपरा में विशिष्ट अवदान है। वीतरागता की साधना का प्रवर आलंबन हैµध्यान। आवश्यकता है आत्म साधक ध्यान के साथ आहार संयम की साधना करें। डॉ0 वरुण मुनिश्री ने साध्वीश्री की आगामी यात्रा की मंगलकामना की। उन्होंने कहा कि जब जैन विश्व भारती संस्थान से मैंने अध्ययन किया उस वक्त साध्वी मंगलप्रज्ञा जी वाइस चांसलर के रूप में संस्थान में नियोजित थीं। इस बार चेन्नई में इनका चातुर्मास भव्य और दिव्य रहा।
अभातेयुप के उपाध्यक्ष रमेश डागा ने साध्वीश्री एवं मुनिश्री के मिलन को जिनशासन प्रभावक बताया एवं शुभकामनाएँ दी। शिविर संयोजक सजनराज जैन ने कहा कि तेरापंथ के अनुशासन व्यवस्था, मर्यादा की आचार्य शिवमुनि कई बार उल्लेख किया करते हैं। मुनिश्री ने कहा कि महामना आचार्यश्री महाश्रमण जी के ईरोड में दो दिवसीय प्रवास के दौरान मिले प्रेम-सद्भावना को भूल नहीं सकता।