तप से जागृत होती है भीतर की शक्ति

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तप से जागृत होती है भीतर की शक्ति

कांटाबाजी।
मुनि प्रशांत कुमार जी के सान्निध्य में मुनि कुमुद कुमार जी की प्रेरणा से तेरापंथ सभा द्वारा सामूहिक एकासन जप अनुष्ठान आराधना हुई। मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा कि कांटाबाजी में आज दूसरी बार सामूहिक एकासन आराधना हुई। जप-तप आराधना निर्जरा के लिए की जाती है। निर्जरा होने से कर्मों से मुक्ति मिलती है। कर्म मुक्ति ही संसार से मुक्ति है। भारतीय संस्कृति में सदियों से ऋषि-मुनियों ने तपस्या, साधना कर संसार मुक्ति का जीवंत संदेश दिया। कुमुद मुनिश्री ने अथक परिश्रम कर श्रावक समाज को सामूहिक एकासन के लिए प्रेरित किया। कर्म निर्जरा में सहभागी बने हैं।
मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा कि तप करना कठिन होता है, क्योंकि आहार संज्ञा प्राणी की मौलिक मनोवृत्ति होती है। जन्म से लेकर मरण तक व्यक्ति संसारी गतिविधियों में लिप्त रहता है। धार्मिकता की भावना होने से ही जीवन में परिवर्तन आता है। 300 से अधिक एकासन हुए। सभा मंत्री सुमित जैन ने मुनिद्वय, प्रायोजक कवाड परिवार का आभार व्यक्त किया। मुनिश्री के साथ साधक सामूहिक अनुष्ठान में सहभागी बनें। सामूहिक रूप से एकासन का प्रत्याख्यान मुनिश्री द्वारा करवाया गया।