मुमुक्षु मुदित का मंगलभावना समारोह

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मुमुक्षु मुदित का मंगलभावना समारोह

दिवेर।
मुनि संजय कुमार जी के सान्निध्य में मुमुक्षु मुदित जैन, दिल्ली का मंगलभावना समारोह आयोजित किया गया। मुनि संजय कुमार जी ने कहा कि आत्महित के लिए हमें प्रयत्न करना चाहिए, हम कितने सौभाग्यशाली हैं कि हमें महान गुरु मिले। व्यक्ति को सामुदायिक चेतना का विकास करना चाहिए अपने स्वार्थ और सुविधाओं को छोड़ना चाहिए। दीक्षा के माध्यम से व्यक्ति अपने उच्च आदर्श को प्राप्त कर सकता है। मुमुक्षु मुदित अब मुनि बनने जा रहा है। सेवा, समर्पण और सहनशीलता से जीवन में काफी विकास हो सकता है। इस अवसर पर सरदारगढ़ से समागत कानपुर के पूर्व अध्यक्ष सेवा निर्वित न्यायधीश डॉ0 बी0एल0 बाबेल ने कहा कि संसारी सुख को छोड़कर आध्यात्मिक सुख की ओर प्रस्थान करने का नाम दीक्षा है।
मुनि प्रकाश कुमार जी ने कहा कि दीक्षा से व्यक्ति जीवन में सुख और शांति का अनुभव करता है। प्रारंभ में थोड़ी कठिनाई आ सकती है किंतु मनुष्य को उस कठिनाई से घबराना नहीं चाहिए। समता से सहन करना चाहिए। मैंने देखा मुमुक्षु मुदित को और बहुत निकटता से देखा मुझे अच्छा लगा गुरुदेव को मैंने निवेदन किया मुदित के अंदर में मूल गुण अच्छे हैं, बस गुरुदेव ने हमारी बात पर ध्यान दिया और इनको मुनि दीक्षा का आदेश दे दिया। मेरा परम सौभाग्य रहा कि मुझे संजय कुमार जी स्वामी के सान्निध्य में यात्राओं के साथ बैरागी को भी तैयार करने का मौका मिला है।
मुनि धैर्य कुमार जी ने कहा कि कुछ तत्त्व शाश्वत होते हैं, कुछ तत्त्व अशाश्वत होते हैं, चेतना के पर्याय बदलते रहते हैं। दीक्षा, संयम, त्याग यह शाश्वत है। दीक्षा से आत्मा की उपलब्धियों को प्राप्त किया जा सकता है। मुदित भी इस दिशा में आगे बढ़ रहा है, यह प्रसन्नता की बात है। मुनि सिद्धप्रज्ञ जी ने गीत गाते हुए कहा कि जीवन की सबसे बड़ी सुरक्षा दीक्षा है। इसके लिए किसी समीक्षा की अपेक्षा नहीं। तेरापंथ की दीक्षा का अर्थ है-समर्पण। समर्पण में शर्त नहीं होती, जहाँ समर्पण होता है वहाँ व्यक्ति विकास करता है।
दीक्षार्थी मुदित जैन ने कहा कि गुरु की करुणा से संयम मिलता है और गुरु के चरणों में जो साधक रहता है वह निर्भय रहता है। जीवन को अनेक प्रकारों के संस्कारों से संस्कारित करने का नाम दीक्षा है। दीक्षा असंयम से संयम की ओर, भोग से त्याग की ओर, अशांति से शांति की ओर, अंधकार से प्रकार की ओर, मृत्यु से अमृत की दिशा में प्रस्थान करने का नाम है। मुझे मुनि संजय जी, मुनि प्रकाश जी और मुनि धैर्य जी, मुनि सिद्धप्रज्ञ जी जैसे चार-चार संतों का सान्निध्य मिला, जिसके चलते मैंने बहुत कुछ सीखा और आज मैं मुनि प्रकाश कुमार जी की कृपा से अब दीक्षा की ओर प्रस्थान कर रहा हूँ। मैं अपने परिजनों को भी बहुत साधुवाद देना चाहूँगा, जिन्होंने मुझे इस मार्ग पर आगे बढ़ने में पूरा सहयोग दिया। दिवेर भी मुझे याद रहेगा, यहाँ का स्थान, यहाँ के लोग मेरे लिए बहुत उपयोगी बने।
अणुव्रत विश्व भारती के उपाध्यक्ष अशोक डूंगरवाल ने कहा कि मुनिश्री धर्मसंघ के क्षेत्र में इतना बड़ा काम कर रहे हैं, यह हमारे लिए बहुत गौरव की बात है। बैरागी को तैयार करना बहुत कठिन होता है। इस अवसर पर तेरापंथ सभा के अध्यक्ष सुरेश श्रीमाल ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का मंगलाचरण तेरापंथ कन्या मंडल, दिवेर ने किया। सभा के मंत्री बाबूलाल लोढ़ा ने स्वागत एवं आभार ज्ञापन किया। तेममं की अध्यक्षा पारस देवी चोरड़िया, महिला मंडल, मुंबई-दिवेर की ओर से शब्द चित्र प्रस्तुत किया गया।
इस अवसर पर शकुंतला, कुसुम हिंगड़, पायल श्रीश्रीमाल, प्रेक्षा कोठारी, शिक्षक जेठाराम सालवी, नरेंद्र श्रीमाल आदि ने भाव एवं मंगलभावना प्रस्तुत की। टीपीएफ के उपाध्यक्ष नवीन चोरड़िया ने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर बाहर से पधारे गणमान्य व्यक्तियों का साहित्य के माध्यम से सम्मान किया गया। कार्यक्रम में आमेट, छापली, पड़ासली, भीम, राजनगर, कांकरोली, नरदास का गुड़ा, बड़ौदा, सरदारगढ़, तासोल, मजेरा, जोजावर, बगड़, अंटालिया, नन्नाना आदि क्षेत्रों से अतिरिक्त मुंबई से बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन मुनि प्रकाश कुमार जी ने किया। कार्यक्रम में दीक्षार्थी मुदित एवं उनके परिवार का सम्मान किया गया। कार्यक्रम दीक्षार्थी के माता-पिता मनोज एवं सीमा विशेष रूप से उपस्थित थे।