धर्म ही है भारत की आत्मा
माधावरम्, चेन्नई।
मुनि सुधाकर कुमार जी ने राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर कहा कि जाति, पंथ, संप्रदाय के आधार पर बाँटना, देश की अखंडता एवं संप्रभुता के लिए खतरा है। जातिवाद, संप्रदायवाद, प्रांतवाद देश के लिए घातक है। हमें भाषा से ज्यादा सद्भाव पर बल देना चाहिए। मुनिश्री ने कहा कि धर्म का संबंध आत्मा-परमात्मा से ही नहीं है, वह नीति और व्यवहार का भी आधार है। नैतिक मूल्यों में जो गिरावट आई है, उसमें भी बड़ा कारण धर्म के प्रति अनास्था है। अनेकांतवाद विचारधारा से इस पर चिंतन जरूरी है।
मुनिश्री से सज्जनबाई रांका ने 89वीं अठाई की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। इस चातुर्मास में यह इनकी चौथी अठाई है। आपके यह 15वाँ वर्षीतप है और 4 मासखमण भी किए हुए हैं।