मोक्ष प्राप्ति तक जारी रहता है पुनर्जन्म का क्रम: आचार्यश्री महाश्रमण
धनेरिया, 27 नवंबर, 2022
अनुकंपा की चेतना के उत्प्रेरक आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रातः 15 किलोमीटर विहार कर धनेरिया ग्राम में पधारे। अहिंसा के प्रेरक आचार्यश्री ने फरमाया कि एक सिद्धांत है कि जीव-प्राणी पुनर्जन्म ग्रहण करता है। यह पुनर्जन्म का सिद्धांत आस्तिकवाद में सम्मत है। जहाँ आत्मा का शाश्वत अस्तित्व सम्मत होता है, वहाँ यह पुनर्जन्मवाद भी संभव हो सकता है। जहाँ यह केवल शरीर इसके बाद कुछ नहीं, इसके पहले भी कुछ नहीं तो पुनर्जन्म की बात संभव नहीं हो सकती। पुनर्जन्म है, तो पुर्वजन्म अपने आप सिद्ध हो जाता है। पुनर्जन्म के सिद्धांत के साथ कर्मवाद की बात भी जुड़ी हुई है कि प्राणी जैसा कर्म बंध करता है, उसके अनुसार उसका आगामी जन्म होता है। आदमी दुराचार, कदाचार से बचे। सदाचार के पथ पर चले।
कोई प्रश्न करे कि पुनर्जन्म होता है, इसका क्या प्रमाण है तो प्रति प्रश्न होता है कि पुनर्जन्म होता नहीं है, इसका प्रमाण क्या है? परलोक है या नहीं पर आदमी अशुभ कार्यों से बचे, शुभ कार्य करता रहे। परलोक है तो अच्छा फल मिल जाएगा। परलोक नहीं तो तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ेगा। एक प्रसंग से समझाया कि अगर खराब काम किए और पुनर्जन्म है तो आगे जूते पड़ेंगे। आदमी को जीवन अच्छा जीना चाहिए। अणुव्रत के छोटे-छोटे व्रत स्वीकार करो। अणुव्रती तो जैन-अजैन कोई भी बन सकता है। अध्यात्म का महल पुनर्जन्म के सिद्धांत, आत्मा और कर्मवाद पर टिका हुआ है। पुनर्जन्म के आधार पर जीवन की शैली का निर्माण करें। जीवन अच्छा जीएँ। जब तक मोक्ष प्राप्त नहीं होगा, पुनर्जन्म होता रहेगा।
अहिंसा धर्म है, सुख-शांति का कारण है। कोई प्राणी हंतव्य नहीं हैं पुनर्जन्म अच्छा हो तो अहिंसा के रास्ते पर चलो। अहिंसा, संयम, तप जीवन में है तो आत्मा का कल्याण होना ही है। मारवाड़ के क्षेत्र आचार्य भिक्षु से जुड़े हुए क्षेत्र हैं। कंटालिया, बगड़ी, सिरियारी तो तेरापंथ के ऐतिहासिक स्थल है। स्थानीय लोगों को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति को समझाकर संकल्प स्वीकार करवाए। व्यवस्था समिति द्वारा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय का प्रतीक चिह्न से सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।