मन को अपने वश कर, करें दुखों का नाश: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

मन को अपने वश कर, करें दुखों का नाश: आचार्यश्री महाश्रमण

भुवाल, 28 नवंबर, 2022
जिनशासक प्रभावक आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रातः 7 किलोमीटर का विहार कर भुवाल पधारे। भुवाल माताजी का मंदिर प्रसिद्ध है। पूज्यप्रवर ने मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारे जीवन में चित्त का बड़ा महत्त्व है। चेतना तो मूल तत्त्व है। यह शरीर इतना शोभायमान हो रहा है, यह चैतन्य का प्रभाव है। शरीर में जब तक आत्मा रहती है, तब तक शरीर सक्रिय बना रह सकता है। चित्त हमारा अच्छा रहे। यह शरीर मानो चित्त पर आधारित है। शरीर का भी महत्त्व होता है। चित्त स्वस्थ रहे तो बुद्धियों की प्रस्फुरणा होती है। चित्त को दो संदर्भों में लिया जा सकता है। आत्मा और मन। हमारा मन प्रसन्न रहे। शरीर का बल महत्त्वपूर्ण है, तो मन का बल भी महत्त्वपूर्ण है। मनोबल मजबूत चाहिए।
आदमी को मानसिक दुःख होते हैं, वो मन के प्रमाद से होते हैं। प्रमाद है घृणा-चंचलता आदि। मन को वश में कर लिया जाता है तो दुःख भी फिर नाश को प्राप्त हो जाते हैं। हम सुमन रहें। दुनिया में बढ़िया काम भी मन वाले प्राणी कर सकते हैं। खराब काम भी मन वाला प्राणी ज्यादा कर सकता है। सातवीं नरक में समनस्क ही जाएगा। ऊँची गति में भी मन वाला प्राणी ही जा पाएगा। चाहे देवगति हो या मोक्ष गति। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी के 66वें जन्म दिवस पर मंगल आशीष प्रदान करते हुए फरमाया कि आपका शारीरिक, मानसिक, भावात्मक और सामाजिक स्वास्थ्य अच्छा रहे। आज साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी का 66वाँ जन्म दिन है। साध्वीप्रमुखाश्री मनोनयन के बाद पहला प्रसंग आया है। आप चिरकाल तक अपनी सेवाएँ देती रहें। आपकी गहराई और ऊँचाई अच्छी रहे। यात्रा और कार्य अच्छा होता रहे। खूब चित्त समाधि में रहें व दूसरों को भी चित्त समाधि देते रहें।
साध्वीप्रमुखाश्री जी ने कहा कि पूज्यप्रवर ने अनेक क्षेत्रों की यात्राएँ करवाई हैं। तीर्थ स्थलों, तेरापंथ के ऐतिहासिक क्षेत्रों एवं श्रद्धा के श्रावकों के घरों की यात्रा करवाई है। हमारी भक्ति आचार्य के प्रति होती है। आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर व्यक्ति कभी भी भौतिक कामनाओं के लिए अपने आराध्य के साथ ही तादात्म्य स्थापित करते हैं। हमारी भक्ति निर्गुण है। साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा जी ने कहा कि आचार्य राजकरंडक के समान होते हैं। सर्वगुण संपन्न होते हैं। हमें तेरापंथ धर्मसंघ जैसा विलक्षण धर्मसंघ मिला है। आचार्यप्रवर जनकल्याण का लक्ष्य ले आगे बढ़ रहे हैं। पूज्यप्रवर के स्वागत में अभयराज बैंगाणी, महिला मंडल, इंद्र बैंगाणी (मंदिर ट्रस्ट से), कन्या मंडल, संपतराज गुलगुलिया, रितिक बोथरा, भव्य ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।