बुद्धि के साथ रहे आचरण की शुद्धि: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

बुद्धि के साथ रहे आचरण की शुद्धि: आचार्यश्री महाश्रमण

गवारड़ी, 25 नवंबर, 2022
वर्तमान के वर्धमान आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रातः 13 किलोमीटर विहार कर गवारड़ी के राजकीय विद्यालय में पधारे। छात्रों एवं स्थानीय लोगों को मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान कराते हुए महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमण जी ने फरमाया कि अर्हत् वाङ्मय में कहा गया है कि ज्ञान का बहुत महत्त्व है। ज्ञान एक पवित्र तत्त्व भी है। जो व्यक्ति अज्ञानी होता है, वह कष्टापतीत हो सकता है। अज्ञान अपने आपमें अच्छी चीज नहीं है। गुस्सा, अहंकार आदि पापों से भी ज्यादा खराब अज्ञान होता है। अज्ञान के आवरण से आवृत्त आदमी हित-अहित क्या, करणीय-अकरणीय क्या इसका भी बोध नहीं कर पाता। ज्ञान प्राप्त करने के लिए विद्यार्थी विद्यालय में जाता है। ज्ञान होना अच्छा है, पर साथ में आचार-संस्कार भी होना चाहिए। जीवन का विज्ञान धर्ममय हो। नैतिकता भी जीवन में आए।
ग्रहण शिक्षा आचरण में भी आए। यह एक प्रसंग से समझाया कि हमारे जीवन में ज्ञान का प्रकाश और आचरण की गति हो तो जीवन अच्छा चल सकता है। अणुव्रत और जीवन-विज्ञान से अच्छे संस्कार आ सकते हैं। अहिंसा, नैतिकता और नशामुक्ति के संस्कार भी विद्यार्थियों के जीवन में आ जाए तो उनका जीवन अच्छा रह सकता है। बुद्धि के साथ शुद्धि भी रहे। शुद्ध बुद्धि कामधेनू है। बुद्धि से समस्या का समाधान किया जा सकता है। हम बुद्धि का सदुपयोग करें। आचार्यप्रवर ने सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के तीन संकल्पों को समझाकर विद्यार्थियों एवं स्थानीय लोगों को स्वीकार करवाए। सम्यक् दीक्षा भी ग्रहण करवाई। विद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक भलाराम ने पूज्यप्रवर का स्वागत-अभिनंदन किया। स्कूल व्यवस्थापक का व्यवस्था समिति द्वारा सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।