कल्याणकारी कल्याण मंदिर अनुष्ठान
गंगाशहर।
तेरापंथ भवन का प्रांगण, चारों ओर गूँजते मंगल मंत्रों की ध्वनि और श्वेत-केसरिया परिधान में तल्लीनता से जाप करते हुए श्रद्धालु श्रावक-श्राविकाएँ वातावरण में दिव्यता की अनुभूति कर रहे थे। यह मौका था कल्याणकारी कल्याण मंदिर अनुष्ठान का। मुनि शांति कुमार जी एवं मुनि जितेंद्र कुमार जी के सान्निध्य में लगभग 121 से भी अधिक जोड़ों ने प्राचीन ¬ की वृहद आकृति में भगवान पार्श्वनाथ की स्तुति कल्याण मंदिर स्तोत्र का सामूहिक रूप में अनुष्ठान किया। यह कार्यक्रम तेयुप, गंगाशहर द्वारा आयोजित किया गया।
मुनि जितेंद्र कुमार जी ने कहा कि भगवान श्री पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर हुए। उन्हें पुरुषादानीय की उपमा से उपमित किया गया। प्रभु पार्श्वनाथ की स्तवना में यह कल्याण मंदिर स्तोत्र अति प्राचीन स्तोत्र है। मंत्रों में विशिष्ट शक्ति होती है और जब सामूहिक एवं विशेष आकार में अनुष्ठान होता है तो उसका पूरे वातावरण, जीवन, व्यवहार पर मंगल असर पड़ता है।
तेयुप, गंगाशहर के कोषाध्यक्ष दीपक बोथरा ने बताया कि कार्यक्रम का मंगलाचरण मंड्या से समागत रितु दक ने पार्श्व स्तुति से किया। तेरापंथी सभा अध्यक्ष अमरचंद सोनी और तेयुप के पदाधिकारियों द्वारा कार्यक्रम के प्रायोजक चंद्रकुमार, ललित, यश राखेचा परिवार का साहित्य से सम्मान किया। कार्यक्रम की संपन्नता पर देवेंद्र डागा द्वारा आभार ज्ञापन किया गया।