संकल्प शक्ति का कीजिए विस्तार
चंडीगढ़।
आत्मविश्वास से हमारी संकल्प शक्ति बढ़ती है और संकल्प शक्ति से बढ़ती है हमारी आत्मिक शक्ति। संसार के सारे युद्धों में इतने लोग नहीं हारते, जितने कि सिर्फ घबराहट से। अतः अपने ऊपर विश्वास रखकर ही आप दुनिया में बड़े से बड़ा काम सहज ही कर सकते हैं और अपना जीवन सफल बना सकते हैं। आत्मविश्वास में वह शक्ति है जिसके माध्यम से हम कुछ भी कर सकते हैं। यह शब्द मनीषी संत मुनि विनय कुमार जी ‘आलोक’ ने व्यक्त किए।
मुनिश्री ने कहा कि दुष्ट व्यक्ति भी सत्संगति पाकर सुधर जाते हैं। जैसे पारस के स्पर्श से लोहा भी सोना बन जाता है। अध्यात्म के क्षेत्र में सत्संग का अत्यंत महत्त्व है। सत्संग से हमारे जीवन में विवेक जागृत होता है। सत्संग आनंद व कल्याण का मूल है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि मानव को ज्ञानी व तेजस्वी लोगों की संगति करनी चाहिए। मानव सामाजिक प्राणी है, कहते हैं कि मनुष्य अपनी संगति से पहचाना जाता है। मानव की संगति जैसी होती है वह धीरे-धीरे वैसा ही बन जाता है। अज्ञानी का संग मानव के व्यक्तित्व व चरित्र का पतन करता है। वहीं ज्ञानी का साथ व्यक्ति के व्यक्तित्व का उन्नयन करता है।