अवबोध

स्वाध्याय

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धर्म बोध
शील धर्म

प्रश्न 25 : बाड़ व कोट किसे कहते हैं?
उत्तर : ब्रह्मचर्य की जो गुप्तियाँ अथवा समाधि-स्थान बताए हैं वे ही बाड़ हैं। जो इसके दस प्रकार मिलते हैं, उनमें अंतिम हैं पाँच काम-गुणों (शब्द, रूप, गंध, रस, स्पर्श) का परिहार। गाँव की सीमा पर अवस्थित बिना बाड़ का खेत पशु व झगड़े आदि से सुरक्षित नहीं रह सकता। वह तो तभी सुरक्षित रहेगा, जबकि खेत के चारों ओर बाड़ लगा दी जाए। जहाँ ब्रह्मचारी विचरण करता है, वहाँ स्थान-स्थान पर स्त्रियाँ हैं। इसी कारण शील रूपी खेत की सुरक्षा के लिए नौ बाड़ का कथन किया। नौ बाड़ व दसवें कोट के भीतर ब्रह्मचर्य सुरक्षित रहता है।

प्रश्न 26 : आहार का ब्रह्मचर्य के साथ क्या संबंध है?
उत्तर : आहार का ब्रह्मचर्य के साथ गहरा संबंध है। भगवान् महावीर ने कहाµ‘ब्रह्मचारी निरस-नि:सत्त्व आहार कर, कम खाए। ब्रह्मचारी केवल संयम-यात्रा के निर्वाह के लिए ही सादा और परिमित आहार करे, स्वाद के लिए नहीं।’ आचार्य भिक्षु ने ब्रह्मचारी के लिए ऊनोदरी तप को उत्तम तप बताया। उन्होंने कहाµ‘जिसकी जीभ वश में नहीं, वह सरस आहार की चाह करता है, परिणामस्वरूप व्रत भंग कर सारभूत ब्रह्मचर्य व्रत को खो देता है।’
महात्मा गांधी ने मिताहार व स्वाद विजय पर बल दिया है। उन्होंने कहाµ‘जो अपनी जिह्वा को कब्जे में रख सकता है, उसके लिए ब्रह्मचर्य सुगम हो जाता है। जिसने जीभ को नहीं जीता, वह विषय-वासना को नहीं जीत सकता।---ब्रह्मचर्य से अस्वाद व्रत का घनिष्ट संबंध है।---जो मनुष्य अतिभोजन करने वाला है, जो आहार में कुछ विवेक या मर्यादा ही नहीं रखता, वह विकारों का गुलाम है।’ इनसे यह स्पष्ट है कि आहार का ब्रह्मचर्य के साथ गहरा संबंध है, इसलिए ब्रह्मचारी को सात्त्विक व अल्पाहारी होना अपेक्षित है। ब्रह्मचारी के लिए तामसिक, तली हुई व मिर्च-मसाले से रहित भोजन को उपयोगी माना गया है। (क्रमश:)