मधुर मिलन समारोह
बठिंडा
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी सुनाम चातुर्मास संपन्न कर संगरूर, बड़बर, धनोला, बरनाला, तपा, रामपुरा फूल में धर्म जागरणा करते हुए बठिंडा तेरापंथ भवन में पधारे। मुनिश्री ने कहा कि दशवेंकालिक सूत्र में बताया गया है कि अपनी आत्म-सुरक्षा करनी चाहिए। आत्म-सुरक्षा के साथ स्वास्थ्य, परिवार, व्यापार की सुरक्षा अपने आप हो जाती है। अर्थात् जो व्यक्ति हिंसा, झूठ, दुराचार, दुर्व्यसन से बचकर रहता है वह सबका प्रिय बन जाता है। जो इन कामों में पड़ जाता है वह ना आत्म-सुरक्षा कर सकता है ना ही वह स्वास्थ्य परिवार, व्यापार की सुरक्षा कर पाता है। जो इनसे बचकर रहता है वही इस लोक ओर परलोक दोनों में सुखी हो सकता है, धर्म ही ऐसा सच्चा साथी है जिससे व्यक्ति सर्वत्र प्रतिष्ठा का पात्र बनता है।
इस अवसर पर गोविंदगढ़ चातुर्मास संपन्न कर पहुँची साध्वी प्रसन्नयशा जी से मधुर मिलन हुआ। मुनिश्री ने कहा कि साध्वी प्रसन्नयशा जी मस्त, आत्मास्थ, स्वस्थ, प्रस्थ, विश्वस्थ हैं, इनकी कला सबके लिए अनुकरणीय है। इस अवसर पर उपस्थित श्रावक समाज मधुर मिलन को देखकर बाग-बाग हो गया। मिलन के अवसर पर मुनि नमि कुमार जी, मुनि अमन कुमार जी ने भी अपने भावों की प्रस्तुति दी। गोनियाना, गोविंदगढ़, बठिंडा के भाई-बहनों ने सामायिक सहित सेवा, उपासना का लाभ लिया।