अवबोध

स्वाध्याय

अवबोध

धर्म बोध

तप धर्म

प्रश्न 1 : तप किसे कहते हैं?
उत्तर : जिस क्रिया से विजातीय तत्त्व झड़ जाएँ तथा आत्मा उज्ज्वल होती है, उसे तप कहते हैं। तप भी निर्जरा है।

प्रश्न 2 : तप का क्या महत्त्व है?
उत्तर : तप करने वाला व्यक्ति पूर्व संचित कर्मों को क्षीण कर विशुद्धि को प्राप्त होता है। इस विशुद्धि से वह वीतराग, सर्वज्ञ व मुक्तावस्था को प्राप्त होता है।

प्रश्न 3 : क्या तप और निर्जरा एक है?
उत्तर : निर्जरा नौ तत्त्वों में सातवाँ तत्त्व है। तप मोक्ष के क्रियात्मक चार मार्गों में तीसरा मार्ग है। फलित में दोनों एक हैं।

प्रश्न 4 : तप का उद्देश्य क्या है?
उत्तर : केवल आत्मशुद्धि के लिए तप करना चाहिए। तपस्या का उद्देश्य ऐहिक या पारलौकिक भौतिक सुख-समृद्धि व प्रतिष्ठा-प्राप्ति नहीं होना चाहिए। जो प्रतिफल की कामना किए बिना तप करता है, उसका वर्तमान भी पवित्र होता है और परलोक भी। इस तरह वह दोनों लोकों की आराधना कर लेता है।

(क्रमश:)