भावी पीढ़ी स्कूली शिक्षा के साथ चारित्रशील, संस्कारी बने
शिशोदा गाँव।
साध्वी मंजुयशा जी के सान्निध्य में राजकीय उच्च विद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। स्कूल में लगभग 700 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। साध्वीश्री जी ने सभी बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान युग शिक्षा का युग है, कम्प्यूटर, लेपटॉप, मोबाइल का युग है, जिनके माध्यम से अनेक विषयों का ज्ञान किया जा रहा है। शिक्षा जीवन विकास के लिए बहुत आवश्यक है। साध्वीश्री जी ने आगे कहा कि शिक्षा के साथ अच्छे संस्कारों का होना भी बहुत आवश्यक है। संस्कारों के अभाव में जीवन अधूरा रह जाता है। वर्तमान युग में शिक्षा तो बहुत विकासशील है किंतु गहराई से देखा जाए तो विनम्रता, शालीनता, अनुशासनबद्धता, व्यवहारकुशलता, चारित्रशीलता आदि सद्गुणों का अभाव सा होता जा रहा है। शिक्षा के साथ सत्यता, प्रामाणिकता, व्यवहारशीलता आदि गुणों को जागृत करना है तो व्यक्ति अपने जीवन का सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास कर सकता है।
हर विद्यार्थी चारित्रशील, विनयशील, व्यवहारशील, अनुशासनशील बनने का दृढ़-संकल्प करे। साध्वीश्री जी ने एक गीत का संगान किया। इस अवसर पर स्कूल के प्रिंसिपल हीरालाल ने साध्वीश्री जी के प्रति आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि आज हमारा सौभाग्य है कि हमारे स्कूल प्रांगण में आप पधारे। मैं पूरे अध्यापक वर्ग के प्रति भी हार्दिक आभार ज्ञापित करता हूँ। ये ही बच्चों के जीवन निर्माता हैं। अच्छी शिक्षामृत के द्वारा अच्छे भविष्य का निर्माण करते हैं। पूरे अध्यापक वर्ग ने भी साध्वीवृंद के प्रति आभार ज्ञापित किया। मदन तलेसरा ने अपने विचार व्यक्त किए। साध्वीश्री जी ने बच्चों को कुछ संकल्प करवाए। साध्वीश्री जी ने जीवन-विज्ञान के बच्चों को स्मृति विकास, बुद्धि विकास एवं भावनात्मक विकास के भी विधिपूर्वक प्रयोग करवाए। मंगलपाठ से कार्यक्रम संपन्न हुआ।