जीवन-विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

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जीवन-विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

लाडनूं।
पोरवाल चेरिटेबल ट्रस्ट, भिलाई एवं श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, बगड़ी के संयुक्त तत्त्वावधान तथा अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के जीवन विज्ञान विभाग के निर्देशन में महासती चंदनबाला जैन राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, बगड़ीनगर में आयोजित ‘जीवन विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला’ का समापन साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी के सान्निध्य में हुआ। इससे पूर्व विद्यालयी छात्राओं द्वारा आचार्य भिक्षु अभिनिष्क्रमण स्थल से पिरामिड आकार में निर्मित भिक्षु त्याग चेतना केंद्र होते हुए तेरापंथ भवन तक युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी के स्वागत में उत्साहपूर्वक अणुव्रत जीवन-विज्ञान जागरूकता रैली निकाली गई। रैली के संचालन में विद्यालय की शिक्षिका सुनीता राठौड़ का भरपूर सहयोग मिला।
इस अवसर पर साध्वी वीरप्रभा जी ने कहा कि हमें जीवन में सदैव अच्छा बनने का प्रयास करते रहना चाहिए। जीवन विज्ञान जीवन जीने की कला सिखाता है। इसके छोटे-छोटे प्रयोगों से हम अपने व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास कर सकते हैं। उन्होंने एकाग्रता एवं स्मरण शक्ति के विकास हेतु दीर्घश्वास प्रेक्षा के अभ्यास की प्रेरणा देते हुए महाप्राण ध्वनि का अभ्यास भी करवाया। प्रशिक्षण क्रम के अंतर्गत कक्षा 6 से 12 तक की सभी छात्राओं को प्रार्थना सभा में जीवन विज्ञान तथा कक्षा कक्ष में जीवन विज्ञान के लघु प्रयोगों का सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रशिक्षण कार्य में जीवन विज्ञान विभाग के सहायक निदेशक हनुमान मल शर्मा एवं जैन विश्व भारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय के उज्जैन क्षेत्रीय संयोजक मुकेश मेहता का महत्त्वपूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ।
शिविरार्थियों को संबोधित करते हुए पोरवाल चेरिटेबल ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी दानमल पोरवाल ने कहा कि आज विद्यार्थियों का शारीरिक एवं बौद्धिक विकास तो हो रहा है परंतु मानसिक एवं भावात्मक विकास पर पर्याप्त बल नहीं दिए जाने के कारण व्यक्तित्व का असंतुलित विकास हो रहा है। उन्होंने जीवन में अर्थ के महत्त्व को बताते हुए कहा कि भौतिक धन-संपदा का महत्त्व तो है परंतु आध्यात्मिक संपदा के सामने यह गौण है। जीवन विज्ञान के अंतर्गत करवाए जाने वाले ध्यान के प्रयोगों से हमें आध्यात्मिक जगत में प्रवेश करने का अवसर प्राप्त होता है साथ ही हम अपने व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि मैं भी बगड़ीनगर का मूल निवासी हूँ और इसी विद्यालय प्रांगण में मेरी प्राथमिक शिक्षा पूरी हुई थी इसलिए इस विद्यालय के साथ मेरा भावात्मक जुड़ाव भी है।
विद्यालय प्राचार्य सुरेशचंद्र बोराणा ने साध्वीश्री, आयोजक एवं प्रशिक्षकद्वय के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि निश्चित रूप से जीवन विज्ञान के इन प्रयोगों का लाभ हमारे विद्यालय को प्राप्त होगा। मैं विश्वास दिलाता हूँ कि प्रार्थना सभा में यथासंभव इन प्रयोगों को जारी रखा जाएगा। प्रशिक्षण में वरिष्ठ अध्यापक कालूसिंह चौहान, तेजाराम प्रजापत, सुमेरसिंह, पुष्पाकंवर आदि सभी शिक्षकों की उपस्थिति एवं सहयोग रहा।