संघ प्रभावक संत थे मुनि शांति कुमार जी
सुजानगढ़वासी विमल, नाहटा परिवार,
स्वर्गारोहण कर गए, मुनिवर शांति कुमार।।
नेमि मुनि की प्रेरणा से उपजा वैराग्य,
मैं भी सहयोगी बना, जाग गया सौभाग्य।।
गुरुकुलवासी बन रहे, चम्पक भ्राता साथ,
सेवा का अवसर मिला, रहा सदा सिर हाथ।।
पीछे रहते थे नहीं, आता सम्मुख काम,
गंगाशहर प्रवास में, अंतिम लिया विराम।।
रोग असाध्य शरीर में, कोई नहीं उपाय,
है यह मंगलकामना, पाये शिव सुखदाय।।