जैन धर्म के वंडर्ज की पुनरवर्तन की कार्यशाला का आयोजन

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जैन धर्म के वंडर्ज की पुनरवर्तन की कार्यशाला का आयोजन

राजराजेश्वरी नगर।
अभातेममं के निर्देशानुसार महिला मंडल द्वारा साध्वी डॉ0 गवेषणाश्री जी के सान्निध्य में जैन धर्म के वंडर्ज की कार्यशाला का आयोजन किया गया। साध्वीश्री जी द्वारा मंगलाचरण गीतिका से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। मंडल की उपाध्यक्ष शोभा बोथरा ने सभी का स्वागत करते हुए साध्वीश्री जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। साध्वी दक्षप्रभा जी एवं साध्वी मेरुप्रभा जी ने गीतिका का संगान किया। साध्वी मयंकप्रभा जी ने कहा कि हम सब दुनिया के सेवन वंडर्ज के बारे में जानते हैं पर क्या आप सब जैन धर्म के वंडर्ज के बारे में जानते हो? उन्होंने जैन धर्म के 10 अछेरे के बारे में बहुत ही सरल और उदाहरण देकर समझाया।
साध्वी डॉ0 गवेषणाश्री जी ने 14 सपनों का 6 काय के माध्यम से समझाया जैसेµपृथ्वी काय के साथ रत्नराशि देव विमान कुंभ कलश, अप्प काय के साथ क्षीर समुद्र और पद्म सरोवर आदि अलग-अलग उदाहरण के द्वारा बहनों को बहुत ही सरल तरीके से 14 सपनों को बताया। कार्यशाला में अभातेममं, कार्यकारिणी सदस्य लता जैन महिला मंडल की संरक्षिका गुलाब देवी छाजेड़, सुशीला देवी छाजेड़ एवं कार्यकारिणी सदस्य बहनें उपस्थित थी। कार्यशाला का संचालन सीमा छाजेड़ ने किया। हेमलता सुराना ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।