सुशिष्यमंगलभावना समारोह का आयोजन

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सुशिष्यमंगलभावना समारोह का आयोजन

बालोतरा।
शासनश्री साध्वी कुंथुश्री जी के सान्निध्य में मुमुक्षु मनीषा, मुमुक्षु तुलसी भगिनीद्वय का मंगलभावना समारोह का आयोजन न्यू तेरापंथ भवन, अमृत सभागार में हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी पावनयशा जी एवं साध्वी शिक्षाप्रभा जी द्वारा महाश्रमण अष्टकम् के साथ हुआ। शासनश्री साध्वी कुंथुश्री जी ने कहा कि दीक्षा तो व्रत संग्रह, व्रतों के कवच धारण करने का नाम दीक्षा है। दीक्षा जीवन निर्माण एवं रूपांतरण की प्रतिक्रिया है, अध्यात्म प्रयोगों की साध्य भूमि है दीक्षा। दीक्षा का अर्थ है अध्यात्म का रूपांतरण, संयम का अवतरण। संक्षेप में आत्म साधना के चरम बिंदु पर पहुँचाने वाले सोपान का नाम है दीक्षा।
तेरापंथ धर्मसंघ की दीक्षा गुरु के प्रति सर्वस्थना समर्पण दीक्षा है। आप दोनों गुरु इंगित की आराधना करती हुई अध्यात्म पथ पर अग्रसर होती रहें, संयम के सुमन खिलते रहें। साध्वी रातिप्रभा जी ने दोनों के प्रति मंगलकामना करते हुए कहा कि संयम उसे कहा जाता है-सजग है, जगता है। संवर की साधना अनुत्तर साधना है, संयम ग्रहण करना लघुवय में दोनों बहनें संयम की ओर अग्रसर हो रही हैं, यह दृढ़ मनोबल का परिचय है और इनके माता-पिता भी साधुवाद के पात्र हैं। साध्वी गौरवयशा जी ने कहा कि अध्यात्म भाव का साधन अभिषेक है दीक्षा और इधर-उधर फिसलती आजादी का ब्रेक है दीक्षा। साध्वी कलाप्रभा जी ने भी मंगलभावना व्यक्त की तथा साध्वीश्री जी ने समूह स्वर में गीत के द्वारा मंगलभावना व्यक्त की।
ओसवाल समाज अध्यक्ष शांतिलाल डागा, तेरापंथी सभा अध्यक्ष धनराज ओस्तवाल, तेयुप अध्यक्ष संदीप, ज्ञानशाला प्रभारी राजेश बाफना, तेममं अध्यक्ष निर्मला संकलेचा, कन्या मंडल संयोजिका साक्षी वेद मेहता, अभातेममं क्षेत्रीय प्रभारी सारिका बागरेचा, कमलादेवी ओस्तवाल, पारमार्थिक शिक्षण संस्थान के संरक्षण धनराज भंसाली तथा दीक्षार्थी बहनों के परिवार से उनकी बहन नीतू हिना, भाई सुमित निर्मल आदि ने गीत, भाषण, मुक्तक आदि से मंगलभावना की।
मुमुक्षु बहन मनीषा ने अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा कि यह संसार भुलावा है, यहाँ कोई अपना नहीं है। यह सकल संसार कोरा सपना है और मोह की जाली में फँसकर व्यर्थ है। इसके साथ ही उन्होंने सबकी कृतज्ञता एवं क्षमायाचना की। मुमुक्षु तुलसी ने कहा कि मैं संयम में रमण कर और कर्मों की कारा तोड़ूँ। संयम पथ पर बढ़कर मुझे मेरे परिवार वालों ने सहयोग किया, आज्ञा दी। उसके प्रति हृदय से कृतज्ञता ज्ञापित की। कार्यक्रम का संचालन साध्वी मनोज्ञयशा जी ने किया।