सेवाभावी, मिलनसार, साधक संत थे मुनि शांति कुमारजी

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सेवाभावी, मिलनसार, साधक संत थे मुनि शांति कुमारजी

सिरियारी।
लगभग 35 बरसों तक एक ही क्षेत्र में प्रवास करने वाले मुनि शांति कुमार जी मिलनसार, सेवाभावी, साधक संत थे। उन्होंने मुनि डूंगरमल जी, मुनि चंपालाल जी, मुनि नगराज जी के सहयोगी के रूप में रहते हुए अपनी अग्लान भाव से सेवाएँ दी। गंगाशहर, भीनासर, बीकानेर, उदासर में प्रवास करने वाले संतों की सेवा में सदैव तत्पर रहते थे। वहाँ के डॉक्टरों, राजनीतिज्ञों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छतीस कोम के लोगों से अच्छा संपर्क-परिचय था अतः समाज के किसी कार्य को कराने में उनका अच्छा योगदान रहता था। विगत कुछ समय से वे अस्वस्थ थे, जिसका इलाज चल रहा था किंतु फिर अचानक स्वर्गस्थ हो गए। ये विचार मुनि चैतन्य कुमार ‘अमन’ ने उनकी स्मृति करते हुए सिरियारी धाम में कहे।
मुनि अमन कुमार जी ने कहा कि कुछ वर्ष पूर्व अहमदाबाद में मुझे उनकी सेवा में रहने का अवसर प्राप्त हुआ था। उनका स्वभाव हँसमुख होने से सबके लिए प्रिय थे। हर जाति के लोग तथा पत्रकारों से उनका अच्छा परिचय होने से तेरापंथ की गतिविधियों, संवादों का प्रकाशन होने में उनका महान योगदान था। ऐसे संत के प्रति हम अपनी श्रद्धा समर्पित करते हैं कि वो आत्मा यथाशीघ्र मोक्षश्री का वरण करे।