धर्म के मार्ग पर चलकर बनाएँ अपनी आत्मा को सदात्मा: आचार्यश्री महाश्रमण
फिच, 26 दिसंबर, 2022
जिन शासन प्रभावक आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रातः लगभग 12 किलोमीटर का विहार कर जोधपुर जिले के फिच ग्राम में पधारे। ज्ञान प्रदाता आचार्यश्री ने फरमाया कि आत्मा के चार प्रकार बताए जा रहे हैंµपरमात्मा, महात्मा, सदात्मा और दुरात्मा। जो आत्मा परम अवस्था को प्राप्त हो गई, मुक्त हो गई, सिद्ध गति में जो आत्माएँ हैं, वो परमात्माएँ हैं। वे न जन्म-मरण और न शरीरधारण करते न उनके कोई कर्म लगे हुए होते हैं। परम ज्ञान-दर्शन, आनंदमय और अनंत शक्ति संपन्न होते हैं। वे संसार से उपरत हैं।
संसारी जीवों में जो मनुष्य है, उनमें कोई महात्मा, कोई सदात्मा या कोई दुरात्मा हो सकते हैं? जो साधु लोग हैं, गृहस्थ छोड़, कंचनकामिनी के त्यागी हैं, वे महात्मा हैं। संसार काँटा और कंचनकामिनी एक चक्र है। इनमें तीन लोग भ्रमित हो जाते हैं। महात्मा त्यागी और सरल हो। जिसके मन, वचन और काय में एकता है, वो तो महात्मा है। जिनके मन में कुछ, वाणी में कुछ और शरीर में कुछ है, वो दुरात्मा है। जो गृहस्थ लोग हैं, उनमें सदात्मा और दुरात्मा होते हैं। सदात्मा सज्जन आदमी, दुरात्मा दुर्जन आदमी। सदात्मा गृहस्थ जीवन में भी संत जैसा जीवन जीते हैं। जो हिंसा, छल-कपट में लगे हैं, वे दुरात्मा हैं। सज्जन-दुर्जन के आचार-विचार में फर्क हो सकता है।
दुर्जन विद्या का उपयोग विवाद में करेगा, सज्जन आदमी संवाद करेगा। विकास करेगा। दुर्जन धन का घमंड करेगा और सज्जन धन का दान करता है। दुर्जन के पास शक्ति है, तो दूसरों को दुःख देगा और सज्जन शक्ति का उपयोग सेवा में करेगा। एक शत्रु अपने दुश्मन का गला भी काट दे वो उतना नुकसान नहीं करता जितना दुरात्मा कर सकती है। शत्रु तो एक जीवन को खत्म करेगा पर दुरात्मा तो पाप करेगा वो अनेक जन्म खराब कर सकती है। हम दुरात्मा न बनें। धर्म के नियम हम कितने पालते हैं। धर्म के नियमों को पालेंगे तो आत्मा का कल्याण हो सकेगा। जीवन में अहिंसा-तप हो, झूठ से बचें। धर्म करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा। धर्म जीवन में आए। यह अपेक्षा है। पूज्यप्रवर ने ग्रामवासियों को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति को समझाकर संकल्प स्वीकार करवाए। पूज्यप्रवर के स्वागत में फिच गाँव में पंडित रामस्वरूप ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।