मुनि शांति कुमार जी के प्रति काव्यात्मक उद्गार

मुनि शांति कुमार जी के प्रति काव्यात्मक उद्गार

अर्हं ऐं नमः

सुजानगढ़ नाहटा परिवार में, जन्म लिया सुखकार।
दीक्षा गुरु तुलसी कर से, जागृत हुए संस्कार।।

महाश्रमण की कृपा का, करते रहते उल्लेख।
ऐसे अचानक चले गए, स्मृतियाँ रह गई शेष।।

शांत धीर गंभीर थे, मुनिवर शांति कुमार।
असाध्य बीमारी सहन कर, किया सेवा पार।।

डूंगर, चंपक, तग की, की सेवा अग्लान।
सेवा कर लिखा लिया, अपना ऊँचा नाम।।

गुरु कृपा का क्या कहें, रखा सदा सर हाथ।
श्रेयांस, विमल, प्रबोध का, रहा अंत तक साथ।।

विशेष सेवा ली नहीं, कृतज्ञ भाव अनपार।
श्रेयांस मंगलकामना, आत्मा हो भव पार।।