मुनि शांति कुमार जी स्वामी के प्रति आध्यात्मिक उद्गार

मुनि शांति कुमार जी स्वामी के प्रति आध्यात्मिक उद्गार

तेरापंथ धर्मसंघ में जन्म अपने आपमें भाग्य की बात है। इस धर्मसंघ में दीक्षित होना सौभाग्य की बात है। दीक्षित होकर गुरु दृष्टि के अनुरूप अपने आपको सेवा में समर्पित कर देने वाले परम सौभाग्यशाली होते हैं। हमारे धर्मसंघ के ऐसे ही विनम्र, सेवाभावी, मिलनसार संत थे मुनि शांति कुमार जी स्वामी। आपका जन्म सुजानगढ़ में हुआ। लघुवय में परमपूज्य गुरुदेव आचार्यश्री तुलसी से संयम रत्न स्वीकार किया। दीक्षित होने के पश्चात आप आचार्यश्री तुलसी के ज्येष्ठ भ्राता सेवाभावी चंपालाल जी स्वामी के ग्रुप में काफी वर्षों तक रहे। उसके पश्चात शासनश्री मुनि सागरमल जी स्वामी ‘श्रमण’, शासन गौरव मुनि बुद्धमल जी स्वामी के जैसे प्रभावशाली संतों के ग्रुप में रहने का सौभाग्य मिला। वैराग्यमूर्ति साधक, मुनि डूंगरमल जी स्वामी के सिंघाड़े में रहकर उनके हृदय को जीता। सरल स्वभावी मुनि चंपालाल जी स्वामी, मुनि नगराज जी स्वामी आदि अनेक संतों की तन, मन से समर्पण भाव से सेवा की। आपकी सेवाभावना से बीकानेर-गंगाशहर के सभी जन परिचित हैं। एक तरह से आपने अपने जीवन को सेवा के लिए ही समर्पित कर दिया था।
संघनिष्ठा के साथ आप मिलनसार संत थे। मेरे ऊपर सदैव आपका वात्सल्यमय कृपाभाव रहा। इन वर्षों में आप अस्वस्थ थे। आपके सहवर्ती संत मुनि श्रेयांस कुमार जी स्वामी, मुनि विमल बिहारी जी, मुनि प्रबोध कुमार जी ने उनकी अच्छी सेवा की। मैं देवलोक हुए मुनि शांति कुमार जी स्वामी के प्रति विनम्र भावों से आत्म-कल्याण की मंगलकामनाएँ करता हूँ।