जागृति का समय है चातुर्मास
इचलकरंजी
साध्वी प्रज्ञाश्रीजी का पदार्पण बाह्य परिसर परसकर इचलकरंजी तेरापंथ भवन में हुआ। साध्वीश्री जी ने नमस्कार महामंत्र के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। महिला मंडल द्वारा अष्टकम से मंगलाचरण किया। सभा अध्यक्ष महावीर ने साध्वीश्री जी का एवं बाहर से पधारे हुए अतिथियों का स्वागत किया। महिला मंडल अध्यक्षा सीमा डागा ने साध्वीश्री जी का स्वागत किया। तेयुप के उपाध्यक्ष प्रवीण कांकरिया, जयसिंगपुर अध्यक्ष विजयराज रूणवाल, चेन्नई से समाहित महेंद्र मरलेचा, गोआ से पधारे विजयराज, कन्या मंडल, तेयुप, विनोद घोड़ावत आदि ने अपनी भावना प्रकट की। अभातेममं कार्यकारिणी और हाल ही में नव निर्वाचित अध्यक्ष जयश्री जोगड़ ने स्वागत करते हुए कार्यकारिणी की घोषणा की। विकास सुराणा ने स्वागत वक्तव्य के साथ शासनश्री विद्यावती जी ‘द्वितीय’ का प्राप्त संदेश सुनाया।
साध्वी विन्यप्रभा जी एवं साध्वी प्रतिकप्रभा जी ने गीतिका द्वारा प्रमोद भावना प्रकट की और चातुर्मास में जागृति की प्रेरणा दी।
साध्वी सरलप्रभा जी ने अपना उद्बोधन दिया। अग्रणी साध्वी प्रज्ञाश्री जी ने कहा कि गुरुदेव ने महाराष्ट्र की ओर विहार हेतु फरमाया, कुछ पता नहीं था कि चातुर्मास कहाँ होगा, लेकिन इचलकरंजी का श्रावक समाज निश्िंचत था कि चातुर्मास उन्हें ही मिलेगा और गुरुकृपा की उन पर बरसात हुई।
इस अवसर पर संतोष महावीर आंचलिया ने 24 की तपस्या की भेंट साध्वीश्री जी के चरणों में चढ़ाई। आभार ज्ञापन जवाहरलाल भंसाली ने किया। कार्यक्रम का संचालन सभा मंत्री पुष्पराज संकलेचा ने किया।