डॉक्टर से बीमारी और गुरु से गलती न छुपाएँ: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

डॉक्टर से बीमारी और गुरु से गलती न छुपाएँ: आचार्यश्री महाश्रमण

टापरा, 4 जनवरी, 2023
कड़कड़ाती सर्दी में असाढ़ा से प्रातः लगभग 9 किलोमीटर का विहार कर जिन शासन प्रभावक आचार्यश्री महाश्रमण जी टापरा पधारे। टापरावासियों पर आचार्यों की विशेष अनुकंपा रही है। महायोगी आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि निर्वाण को कौन प्राप्त कर सकता है? आगम के आधार पर इस प्रश्न का हल है कि जिस व्यक्ति के जीवन में आत्मा में धर्म है, वह निर्वाण को प्राप्त कर सकता है। जिसकी आत्मा शुद्ध है, वहाँ धर्म ठहर सकता है।
सरल व्यक्ति में शुद्धता होती है। सरलता होने से शोधि हो सकती है। बोधि भी प्राप्त हो सकती है। प्रायश्चित के संदर्भ में यह सूत्र मानो मार्गदर्शक सूत्र है। प्रायश्चित देने वाला भी अच्छा हो। डॉक्टर से बीमारी, गुरु से गलती न छुपाएँ। सरलता से गुरु उसकी शोधि कर सकते हैं। सरलता बच्चे जैसी हो। ऋजुता हो, आदमी छल-कपट न करे। साधु तो भोला-सरल ही होना चाहिए। महात्मा वह है जिसके जो मन में है, वो वाणी में है। करता भी वही है जो कहता है। जिसके मन में और, वाणी में और व करता और है, वह दुर्जन व्यक्ति होता है। महात्मा होना खास बात है, मैंने एक किताब आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के जीवन पर लिखी है, उसका नाम भी ‘महात्मा महाप्रज्ञ’ दिया था।
गृहस्थ भी संयमी-सरल हो सकते हैं। सरलता है तो सच्चाई की आराधना अच्छी हो सकती है। झूठ-कपट का जोड़ा है, तो सरलता और सच्चाई का भी जोड़ा है। सच्चाई की साधना के लिए सरलता हो और ज्यादा नहीं बोलना चाहिए, परिमितभाषिता रखना चाहिए। तीन आचार्य मारवाड़ से हुए हैंµआचार्यश्री भिक्षु, श्रीमद्जयाचार्य और आचार्यश्री तुलसी। बाड़मेर जिले में, मैं पहले भी अनेक बार आया हुआ हूँ। आज टापरा आना हुआ है। टापरा का धर्मसंघ में सीर है। 2013 में मर्यादा महोत्सव किया था। सभी अच्छी सेवा-साधना करते रहें।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि गांधीजी में दो विशेषताएँ थींµसंयम की साधना और कथनी-करनी में समानता। इस संदर्भ में, मैं पूज्य आचार्यप्रवर को देखती हूँ तो मुझे लगता है कि अनेक विशेषताएँ पूज्यप्रवर के जीवन में भी परिलक्षित होती हैं। आचार्यप्रवर के जीवन में संयम है। मन-वचन और शरीर सधा हुआ है। पूज्यप्रवर की अभिवंदना में टापरा की चारित्रात्माओं में से मुनि रोहित कुमार जी, समणी अक्षयप्रज्ञा जी, साध्वी मनोज्ञयशा जी, समणी प्रणवप्रज्ञा जी ने अपनी भावना अभिव्यक्त की।
पूज्यप्रवर के स्वागत में तेरापंथ सभा अध्यक्ष कांतिलाल गोलेछा, सोनम बडेरा, तेरापंथ महिला मंडल गीत, तेरापंथ की बेटियाँ, तेयुप से संदीप सालेचा ने अपनी भावना अभिव्यक्ति की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।