साध्वी स्थितप्रभा जी का देवलोकगमन
जयपुर।
नव दीक्षित साध्वी स्थितप्रभा जी का दिनांक 31 दिसंबर, 2023 को सायं 7ः25 बजे संथारा अवस्था में देवलोकगमन हो गया। आपका जन्म लाडनूं में सन् 5-4-1955 में हुआ। आपके पिता का नाम अनोपचंद घीया एवं माता का नाम केशर देवी घीया था। आप दो भाई, दो बहनें थी। आपका संस्था में प्रवेश सन् 1973 में हुआ।
दीक्षा: विलक्षण दीक्षा, छः दीक्षार्थियों में प्रथम, आचार्यश्री तुलसी द्वारा कार्तिक शुक्ला द्वितीया, लाडनूं, 1980
शिक्षा: एम0ए0 जीवन विज्ञान एवं योग, एम0ए0 जैन दर्शन, एम0ए0 प्राकृत एवं जैनागम, एम0ए0 अहिंसा एवं शांति।
संबोधि एक समीक्षात्मक अध्ययन विषय पर समण श्रेणी की प्रथम डॉक्टर।
जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय-जीवन विज्ञान विभाग की श्रेणी की प्रथम विभागाध्यक्ष रही।
ग्यारह व्यक्तियों को पीएच0डी0 करवाई।
दायित्व बोध: जैन विश्व भारती का साधना विभाग (तुलसी अध्यात्म नीडम)
पुस्तक लेखन: प्राण चिकित्सा, गाथा एक तपस्विनी की।
संपादन: प्रेक्षाध्यान पत्रिका का चार वर्ष तक जीवन विज्ञान पत्राचार के अनेक पाठ लिखे।
संकलन: संभव है समाधान, अमूर्त चिंतन, चित्त और मन जीवन विज्ञान एवं प्रेक्षाध्यान के क्षेत्र में भी बहुत कार्य किया।
यात्रा: समण श्रेणी की प्रथम एक साल की सुदूर यात्रा की और साथ ही भारत के अनेक प्रांतों का भ्रमण किया। पिछले कुछ वर्षों से लाडनूं में स्थायी प्रवास।
तपस्या: वर्षीतप, तेरापंथ धर्मसंघ की प्रथम मोय पडिमा, उपवास, बेला, तेला, अठाई आदि।
साध्वी दीक्षा: ‘शासन गौरव’ साध्वी कनकश्री जी के मुखारविंद से 31 दिसंबर, 2022, जयपुर।
संथारा: चौविहार संथारा, 31 दिसंबर, 2022, 6-13 मि0 पर, जयपुर ‘शासन गौरव’ साध्वी कनकश्री जी द्वारा।
परिवार से दीक्षित: साध्वी कानकुमारी जी, शासन गौरव साध्वी कनकश्री जी।
विशेष: समणी स्थितप्रज्ञा जी की संकल्प शक्ति अटूट थी और आस्था बल पुष्ट था। उनके शरीर की स्थिति देखने वाले द्रवित हो जाते पर वो चट्टान की भाँति मजबूत थी, ध्यान, जप, स्वाध्याय आदि में तल्लीन रहती एवं सबको यही प्रेरणा देती रहती। आपके सामने जो भी कार्य आता, पूरे मनोयोग से उसे संपन्न करती। आस्था, संकल्प और जप की त्रिपदी उन्हें स्वास्थ्य का वरदान देती रही। वह एक निर्भीक और साहसी व्यक्तित्व की धनी थी। साध्वी स्थितप्रभा जी की बैकुंठी यात्रा भिक्षु साधना केंद्र, श्यामनगर से रवाना होकर आदर्श नगर मोक्षधाम पहुँची। जहाँ पारिवारिक जनों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार किया गया।