मर्यादा जीवन है
मर्यादा जीवन है, मर्यादा ही धन है,
मर्यादा मधुवन है, मर्यादा पावन है,
मर्यादा वेदी पर अर्पित यह तन मन है।।
श्री भिक्षु ने इस कलियुग में मर्यादा को मान दिया,
जयाचार्य ने इसे महोत्सव का आकार प्रदान किया,
मर्यादा की धुन पर टिका हुआ शासन है।।1।।
मर्यादा के परकोटे में सदा सुरक्षित संघ रहे,
पाकर सिंचन अनुशास्ता का रोगमुक्त हर अंग रहे,
मर्यादा परिमल से सुरभित यह गणवन है।।2।।
मर्यादा का पतन हुआ जब तभी धर्म का नाश हुआ,
मानव मन स्वच्छंद हुआ तब और मलिन इतिहास हुआ,
मर्यादा से मुखरित धरती का कण-कण है।।3।।
मंगलकारी है मर्यादा हम इसका अनुगमन करें,
मर्यादा की पगडंड़ी पर चलकर पग-पग ‘विजय’ वरें,
श्रद्धा से मर्यादा को करते वंदन हैं।।4।।
लय: तुम दिल की धड़कन में रहते हो-----