उदारमना समणी स्थितप्रज्ञा
समणी श्रद्धाप्रज्ञा
समण दीक्षा के पश्चात् मेरा अधिक समय लाडनूं में व्यतीत हुआ। मैंने अनुभव किया कि आपके जीवन की उदारता से हमें लाभ मिला। जब कभी गोचरी में कोई द्रव्य आता आप हमारे लिए सुरक्षित रखती। हम ऊपरी मंजिल में रहते फिर भी इंतजार करती एवं हमें वह द्रव्य प्रदान करवाती। आपके साथ चुरू (राजस्थान) की यात्रा का अवसर मिला। आदरणीय साध्वीवर्याजी (समणी समताप्रज्ञा) भी उस समय साथ थी। आपने जो मेरा ध्यान रखा उसे मैं कैसे भूलूँ? मैं चाहती हूँ रत्नाधिक सम्मान में मेरा समय व्यतीत हो। मैं आपके भावी जीवन की आध्यात्मिक शुभकामना करती हूँ।