जीवन धन्य बणायो...

जीवन धन्य बणायो...

समण श्रेणी रा पहला समणी श्रेणी ने चमकायो
जीवन धन्य बणायो
जीवन सफल बणायो।।

समण श्रेणी में साध्वीप्रमुखा सहदीक्षित कहलाया,
नए तीर्थ री नींव जमाई रोप्या गहरा पाया,
दीक्षा भूमि जन्म भूमि चंदेरी मान बढ़ायो।

चार विषय में स्नातकोत्तर री शिक्षण डिग्री पाई,
पहला डॉक्टर ैव्स् विभागाध्यक्ष री पदवी पाई,
मांइ पडिया वर्षी तप कर तपसण नाम कहायो।

तप जप आगम सज्झाय में पल-पल रमता रहता,
कष्टां में थे समता रखता, भिक्षु-भिक्षु जपता,
जो भी धार्यो कर दिखलायो, पौरुष दीप जलायो।

तुलसी महाप्रज्ञ गुरु महाश्रमण री सेवा साझी,
शासनमाता रो संरक्षण सारी स्मृतियाँ ताजी,
जयपुर में इतिहास बणायो, जस झंडो लहरायो।

लय: नैतिकता की सुरसरिता में----