धर्म जीवन का अनिवार्य तत्त्व

संस्थाएं

धर्म जीवन का अनिवार्य तत्त्व

कोलाघाट बंगाल।
मुनि जिनेश कुमार जी के प्रथम बार आगमन पर स्थानीय जैन समाज द्वारा भावभीना स्वागत किया गया। नगर के मुख्य मार्गों से जयघोष करते हुए पंक्तिबद्ध चलते हुए श्रावक-श्राविकाएँ व बच्चे उपस्थित थे। मुनिश्री का जैन मंदिर अंतर्गत धर्मशाला में स्वागत समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि धर्म जीवन का अनिवार्य तत्त्व है। धर्म का अर्थ हैµसंयम, सदाचार, सहिष्णुता और नैतिकता। धर्म के बिना शांति नहीं मिल सकती और धर्म के बिना आत्मा की उन्नति संभव नहीं है, इसलिए शांति की प्राप्ति एवं आत्मोन्नति के लिए धर्म की आराधना करनी चाहिए।
जिस व्यक्ति का आचार, विचार, संस्कार और व्यवहार उत्तम होता है उसका जीवन श्रेष्ठ होता है। मन, वाणी और भोजन का संयम व्यक्ति को आरोग्य प्रदान करता है। इस अवसर पर मुनि परमानंद जी ने कहा कि सभी को संतों की सन्निधि का अधिक-से-अधिक लाभ उठाना चाहिए। बाल मुनि कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। इस अवसर पर उपासक मालचंद भंसाली, उपासक संजय पारख, उपासिका चंद्रकला बोथरा, पूजा बोथरा, माही जैन आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। जैन महिला मंडल ने स्वागत गीत का संगान किया।