कानून से बच सकते हैं, कर्मों के फल से नहीं

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कानून से बच सकते हैं, कर्मों के फल से नहीं

झारसुगड़ा।
मुनि प्रशांत कुमार जी, मुनि कुमुद कुमार जी का झारसुगड़ा, उड़ीसा की जिला जेल में पदार्पण हुआ। जेल में सैकड़ों की संख्या में कैदियों और जेल के अधिकारियों के बीच मुनिश्री ने कहा कि जेल में आना कोई नहीं चाहता। लेकिन कोई विशेष कारण से आप लोगों को जेल में लाया गया है। इस जीवन में अथवा पिछले किसी जीवन में कोई बुरे कर्म किए होंगे, जिनकी वजह से ऐसी परिस्थितियाँ आपके सामने बनी होंगी कि आप लोगों को जेल में आना पड़ा। अब तो सभी लोगों को यह संकल्प कर लेना चाहिए कि आगे से ऐसे अपराध या ऐसी कोई प्रवृत्ति नहीं करेंगे, जिससे स्वयं को उसकी बुरी सजा भोगनी पड़े।
कानून से आदमी बच सकता है, पुलिस से भी बच सकता है, कर्मों के फल से कोई कहीं भी बच नहीं सकता। हम सबको मनुष्य शरीर के साथ पाँचों इंद्रियाँ मिली हैं, बुद्धि मिली है, बहुत कुछ कर सकने की शक्ति मिली है। इन सभी शक्तियों का कभी दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। इनको अच्छे कार्यों में, अपनी और दूसरों की भलाई में लगाना चाहिए।
एस0पी0 राहुल जैन ने संतों की जीवनचर्या के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि यह आप लोगों का अहोभाग्य है कि ऐसे मोह-माया के पूर्ण त्यागी संत आपको दिशा-दर्शन देने के लिए आपके बीच आए हैं। आप लोग संतों की बताई हुई बातों को ग्रहण करने का प्रयास करें।इस अवसर पर बड़ी संख्या में कैदियों ने शराब, गुटखा आदि नशीली चीजों का सेवन न करने की, चोरी, डकैती और किसी इंसान की हत्या न करने की प्रतिज्ञाएँ खड़े होकर ग्रहण की। जेल के अधिकारीगण ने मुनिश्री के स्वागत में अपने विचार व्यक्त किए। धर्मेन्द्र मुणोत ने धन्यवाद ज्ञापन किया एवं मुनिश्री द्वारा लिखित साहित्य जेल के अधिकारी को भेंट किया गया।