‘कर्मवाद’ पर रात्रिकालीन कार्यशाला का आयोजन
दिवेर।
आज का इंसान दुखी क्यों? किसलिए? पड़ौसी सुखी क्यों? इसलिए कारण-निवारण पर कार्यशाला में मुनि प्रसन्न कुमार जी ने कहा कि व्यक्ति दुखी होने के अनेक कारण हो सकते हैं। किंतु मुख्य कारण हमारे ही किए कार्य शुभ-अशुभ कर्म होते हैं। अतीत के पूर्वजन्मा एवं वर्तमान के भी होते हैं। अज्ञान वरामी व्यक्ति कर्म करता है। जानते हुए भी मोहवश कर देता है। बुरे परिणामों को भी जानता है, फिर भी कर देता है। प्रत्येक प्राणी की एक दुर्बलता है कि दूसरों के सुख को देखकर भी दुखी हो जाता है।