अवबोध

स्वाध्याय

अवबोध

धर्म बोध
तप धर्म

प्रश्न 12 ः विकृतियाँ कितनी हैं?
उत्तर ः विकृतियाँ नौ हैं-
(1) दूध, (2) दही, (3) घी, (4) तेल, (5) गुड़, (6) नवनीत, (7) मधु, (8) मद्य, (9) मांस। इनमें अंतिम चार को महाविकृतियाँ माना गया है। परंपरा से मिठाई आदि को कड़ाही विगय माना है।

प्रश्न 13 ः कायक्लेश किसे कहते हैं, उसके कितने प्रकार हैं?
उत्तर ः आसन आदि निरवद्य क्रिया से शरीर को साधना कायक्लेश है। इसके दस प्रकार हैं-
(1) स्थान-कायोत्सर्ग, (2) उकड़ू आसन, (3) प्रतिमा आसन, (4) वीरासन, (5) निषद्या, (6) आतापना, (7) वस्त्र त्याग, (8) अकण्डूयन-खुजली न करना, (9) अनिष्ठीवन-थूकने का त्याग, (10) सर्व गात्र परिकर्म विभूषा-वर्जन इनके 7 प्रकार भी मिलते हैं।

प्रश्न 14 ः कायक्लेश व परीषह में क्या अंतर है?
उत्तर ः कायक्लेश स्वयं इच्छानुसार किया जाता है और परीषह सहज समागत कष्ट होता है। कायक्लेश अनासक्तिप्रधान साधना है।

प्रश्न 15 ः प्रतिसंलीनता किसे कहते हैं, उसके कितने प्रकार हैं?
उत्तर ः इंद्रिय, मन आदि को अंतर्मुखी बनाना प्रतिसंलीनता है। उसके चार प्रकार हैं-
(1) इंद्रिय, प्रतिसंलीनता (2) कषाय प्रतिसंलीनता
(3) योग प्रतिसंलीनता (4) विविक्त-शयनासन
एकांत व स्त्री, पशु आदि से रहित शयन व आसन का प्रयोग करना विविक्त शयनासन तप है।

(क्रमशः)