पिछले वर्ष में हुई गलतियों के लिए माँगे क्षमा

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पिछले वर्ष में हुई गलतियों के लिए माँगे क्षमा

चंडीगढ़।
नववर्ष में अपनी सोच की दृष्टि को विशाल बनाएँ क्योंकि जैसे विशाल सागर में किसी भी तरह का पानी मिल जाए वह सागर ही कहलाता है और वह पानी अपना अस्तित्व सागर के सामने खोकर अपने आपको सागर बना लेता है। विनम्र बनें और माफ करना सीखें, ज्यादा गुस्सा आता है तो उसे पीना सीखें, अपनी जिम्मेदारियाँ पहचानें और उन्हें निभाना सीखें। इसलिए विचार करें और नए साल की शुरुआत नए प्रण से करें। यह शब्द मनीषी संत मुनि विनय कुमार जी ‘आलोक’ ने व्यक्त किए। मुनिश्री ने मंत्रोच्चार के साथ कार्यक्रम प्रारंभ किया। कार्यक्रम में जस्टिस एस0एन0 अग्रवाल, संजीव जैन महानिरीक्षक। ट्राईसिटी के भाई-बहन बड़ी संख्या में उपस्थित थे।