जहाँ सच्चाई है वहीं प्रभु का वास है: आचार्यश्री महाश्रमण
रिछोली, 13 जनवरी, 2023
तीर्थंकर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमण जी पचपदरा से लगभग 14 किलोमीटर का विहार कर रिछोली पधारे। अमृत देशना प्रदान करते हुए युगपुरुष ने फरमाया कि पाँच प्रकार के पाप होते हैं। हिंसा, झूठ, चोरी, मैथुन और परिग्रह। अठारह पाप भी बताए गए हैं। पापों का परित्याग करना साधु के लिए तो आवश्यक है ही, गृहस्थ भी इनसे जितना बच सके, प्रयास करना चाहिए।
हिंसा एक ऐसा तत्त्व है, जिससे दुःख पैदा होता है। दुःख से छुटकारा पाना है, तो हिंसा के भावों को छोड़ना आवश्यक है और अहिंसा के पथ पर चलना अपेक्षित होता है। अहिंसा शांति का मार्ग है। हिंसा के तीन प्रकार बताए गए हैंµआरंभजा, प्रतिरक्षात्मक और संकल्पजा हिंसा। आरंभजा हिंसा तो गृहस्थ के लिए आवश्यक है। प्रतिरक्षात्मक हिंसा भी आवश्यक हो सकती है। अपने अस्तित्व की, राष्ट्र की रक्षा करना इसका लक्ष्य हो सकता है।
संकल्पजा हिंसा त्याज्य है। अहिंसा कमजोरी पर आधारित नहीं होनी चाहिए। शौर्य-वीर्य से संयुक्त अहिंसा हो। अहिंसा परम धर्म है। हिंसा, झूठ-कपट पाप माना गया है। जहाँ सच्चाई है, वहाँ प्रभु का वास है। किसी का अहित हो जाए वैसा झूठ गृहस्थ को नहीं बोलना चाहिए। चोरी भी पाप है। सबके साथ मैत्री का भाव एवं ईमानदारी रखें। यह एक प्रसंग के माध्यम से समझाया कि झूठ-चोरी से बचने का प्रयास हो।
आज इस गाँव और विद्यालय में आए हैं। यहाँ भी सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के अच्छे संस्कार बने रहें। पूज्यप्रवर ने विद्यार्थियों व ग्रामवासियों को तीनों संकल्प समझाकर स्वीकार करवाए। पूज्यप्रवर के स्वागत में स्थानीय सरपंच भंवरूखां ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। व्यवस्था समिति की ओर से विद्यालय परिवार का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुनि दिनेश कुमार जी ने समझाया कि गुस्सा न करने वाला अपने चेहरे और वाणी को अच्छा रखता है। रिछोली से सांध्यकालीन विहार कर आचार्यप्रवर पाटोदी गाँव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पधारे जहाँ स्थानीय लोगों ने पूज्यप्रवर का भावभीना स्वागत किया।